Meerut News: मेरठ की हस्तिनापुर गंगा नदी में 75 नन्हें घड़ियाल छोड़े गए हैं. गंगा नदी का जल और इसके आसपास का माहौल इन घड़ियालों के लिए मुफीद है. इन घड़ियालों में 58 फीमेल और 17 मेल घड़ियाल हैं. सभी को लखनऊ के कुकरेल घड़ियाल सेंटर से लाकर गंगा की गोद में छोड़ा गया है. खास बात ये है कि इन घड़ियालों की 20 दिनों तक विशेष निगरानी की जाएगी.


घड़ियालों को संरक्षित करने और उनकी संख्या बढ़ाने के मकसद से मेरठ में 2009 में घड़ियाल पुनर्विस्थापित परियोजना शुरू की गई थी. इस परियोजना के तहत अब तक 973 घड़ियाल गंगा नदी में छोड़े जा चुके हैं. इस प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले मेरठ की हस्तिनापुर नदी के जल और यहां के आसपास के वातावरण का जब सर्वे किया गए था तो घड़ियालों के पुनर्विस्थापन के लिए मुफीद पाया गया और प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद कामयाबी भी मिली. जब ये नन्हें घड़ियाल गंगा में छोड़े गए तो स्कूली बच्चे, वन विभाग की टीम, डब्ल्यू डब्ल्यू एफ की टीम, घड़ियाल कुकरेल सेंटर का स्टाफ भी मौजूद रहा


1000 किलोमीटर का सफर तय करेंगे घड़ियाल.
मेरठ की हस्तिनापुर गंगा में छोड़े गए कई नन्हें घड़ियाल 1000 किलोमीटर का सफर तय करेंगे.  डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के संजीव यादव ने बताया कि घड़ियाल पुनर्विस्थापन परियोजना के तहत अब तक जो भी घड़ियाल मेरठ हस्तिनापुर गंगा में छोड़े गए उनमें से कई ने 1000 किलोमीटर का सफर तय किया. मेरिट से भीमगोड़ा से लेकर मिर्जापुर तक सफर तय करके घड़ियाल पहुंच गए. जो बेहद खुशी की बाद है और इनकी संख्या भी बढ़ रही है.


गंगा में जिन नन्हें घड़ियालों को छोड़ा गया है वो सभी 2011 में पैदा हुए हैं और सभी को लखनऊ के कुकरेल घड़ियाल सेंटर से लाया गया. डीएफओ मेरठ राजेश कुमार ने बताया कि गंगा नदी के स्ट्रेच में 100 बड़े घड़ियाल पिछले कुछ समय में देखे जा चुके हैं, जिससे साफ पता चलता है कि इनकी संख्या में वृद्धि हो रही है. हम उम्मीद करते हैं कि घड़ियालों की संख्या और तेजी से बढ़ेगी और ये पूरी तरीके से सुरक्षित भी रहेंगे.


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