मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में एक कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश के सभी स्कलों में राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' को अनिवार्य करने का ऐलान किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस ऐलान के यूपी के सियासी गलियारों में नई बहस को जन्म दे दिया है. योगी आदित्यनाथ के इस निर्णय पर देवबंदी उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा की प्रतिक्रिया आई है.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में वंदे मातरम गायन को अनिवार्य करने की घोषणा पर देवबंदी उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा, "हम एक लोकतंत्र में रहते हैं और हमें अपनी इच्छानुसार जीवन जीने का अधिकार है; इस्लाम मुसलमानों को 'वंदे मातरम' गाने की इजाजत नहीं देता है."

मौलाना कारी इसहाक गोरा ने यह भी कहा कि, मुल्क से आजादी जो है दिल के अंदर होनी चाहिये, मुल्क से मोहब्बत दिल के अंदर होनी चाहिये, लब्जों से जो बयान की जाए वो अलग चीज होती हैं. मौलाना ने आगे यह भी कहा कि जब भी इस तरह की कोई चीज सामने आती है तो समझ आ जाता है कि चुनाव करीब है. बहरहाल प्रदेश सरकार के स्कूलों में वंदे मातरम को अनिवार्य करने के निर्णय पर सियासी बहस छिड़ गई है. पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी इस पर बयान दे चुके हैं.

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सीएम योगी आदित्यनाथ ने क्या किया ऐलान?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश के हर स्कूल में राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' को अनिवार्य करेंगे. यह वही लोग है जो लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती में शामिल नहीं होते लेकिन जिन्ना को सम्मान देने का कार्यक्रम में शामिल होते हैं. वंदे मातरम के विरोध का कोई औचित्य नहीं, वंदे मातरम का इस प्रकार का विरोध भारत के विभाजन का दुर्भाग्यपूर्ण कारण बना था.

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