Basti Fake Certificate Case: उत्तर प्रदेश (UP) के बस्ती में एक बाबू पिछले 15 साल से सरकार की आंख में धूल झोंक कर नौकरी कर रहा है, पहले उसकी नियुक्ति चपरासी के पद पर हुई, उसके बाद वह बाबू बन गया है. फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर वह हर साल लाखों रुपये बतौर सैलरी उठा रहा है. इस मामले की जांच हुई और तथ्य छिपाकर नौकरी हासिल करने का खुलासा हुआ. अब इस फर्जी बाबू पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है.


यह पूरा मामला दुबौलिया थाना क्षेत्र के राष्ट्रीय कृषक इंटर कॉलेज रघुराज नगर सुदीपुर का है. यहां साल 1999 में मृतक आश्रित एक अनुचर की नियुक्ति हुई. नियुक्ति के वक्त नाबालिग होने के बावजूद जाली प्रमाण पत्र लगाकर राम सनेही यादव ने नौकरी ले ली. अब 15 साल बाद इस फ्रॉड से पर्दा उठ गया है. शिकायतकर्ता सुशील कुमार सिंह की मेहनत रंग लाई. डीआईओएस कार्यालय पिछले लगभग 15 साल से एक ऐसे बाबू को बचा रहा था जो हाईस्कूल के फर्जी डिग्री पर राष्ट्रीय कृषक इंटर कॉलेज रघुराज नगर सुदीपुर दुबौलिया बाजार में नौकरी कर रहा है.


लोकायुक्त के दरबार में की गई थी शिकायत


ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जिस हाईस्कूल के अंक पत्र पर नौकरी मिली, उस अंक पत्र को निरस्त कर दिया गया तो किस आधार पर रामसनेही यादव इतने सालों से नौकरी कर रहा है. इतना ही नही रामसनेही यादव चपरासी से बाबू बन गया है. जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के बचाने वाली नीति से व्यथित होकर शिकायतकर्ता लोकायुक्त के दरबार में चला गया, जहां उसकी शिकायत को मंजूर कर लिया गया और उपलोकायुक्त की ओर से जांच पड़ताल भी प्रारंभ कर दी गई.


1994 में हो गई थी सरजू प्रसाद यादव की मौत


दुबौलिया क्षेत्र के एक एडेड इंटर कॉलेज में फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर जिम्मेदारों की कृपा से अनुचर के पद पर नियुक्ति पाकर लिपिक बने व्यक्ति के ऊपर कोई कानून-कायदा लागू नहीं हो पा रहा है. सांठगांठ की वजह से जिम्मेदारों की ओर से एक-दूसरे के कंधे पर जिम्मेदारी डाल पल्ला झाड़ ले रहे हैं. राष्ट्रीय कृषक इंटर कॉलेज बस्ती में अनुचर के पद पर तैनात सरजू प्रसाद यादव की सेवा काल के दौरान 1994 में मौत हो गई थी. मृतक आश्रित कोटे से उसके वारिस रामसनेही यादव की नियुक्ति चयन समिति की तरफ से 25/2/1999 को की गई.


फर्जी जन्मतिथि को सही साबित करने के लिए दी परीक्षा


चयन समिति की लापरवाही की वजह से रामसनेही यादव साल 1997 में हाईस्कूल की परीक्षा जन्म तिथि 1/1/81 को इसलिए छुपाया क्योंकि उस समय उसकी उम्र लगभग 17 साल थी और वह नाबालिक था. इस वजह से हाईस्कूल की मार्कशीट को छुपाकर कक्षा 8 की फर्जी मार्कशीट तैयार करके अनुचर का पद हथिया लिया. इसके बाद इसी फर्जी जन्मतिथि को सही साबित करने के लिए रामसनेही यादव ने साल 2004 में एक बार फिर से हाईस्कूल की परीक्षा पास की, जिसमें वह अपनी जन्मतिथि 1/1/1980 दर्शाया. बाद में उसी के आधार पर इंटरमीडिएट और आगे की परीक्षा उत्तीर्ण करके उसी विद्यालय में वर्तमान समय में लिपिक के पद पर तैनात है.


मार्कशीट को बोर्ड ने किया निरस्त


शिकायत के बाद बोर्ड ने जांचोपरांत 2004 की मार्कशीट को निरस्त कर दिया. एक बार फिर से चपरासी से बाबू बने राम सनेही यादव की कक्षा 8 पर नियुक्ति के समय की मार्कशीट ही उसकी शैक्षणिक योग्यता के लिए सही मानी जाएगी और उसके प्रमोशन के औचित्य पर प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं. राम सनेही यादव ने नाबालिग होने के बावजूद नौकरी हासिल की और बालिग बनने के लिए दो बार हाईस्कूल की परीक्षा दिया, बावजूद उसकी किस्मत ने साथ नहीं दिया और एक मार्कशीट को बोर्ड ने निरस्त कर दिया.


1999 में मिली थी राम सनेही यादव को नौकरी


राम सनेही यादव ने 1999 में नौकरी हासिल की, उससे पहले 1997 में वे हाईस्कूल पास हो चुके थे, जिस हिसाब से वे नाबालिग थे. इसके बाद एक बार फिर से वे 2004 में हाईस्कूल किए, जिसमें वे खुद को बालिग साबित कर ले गए. मगर बोर्ड ने उस मार्कशीट को निरस्त कर दिया. वही फर्जी बाबू ने सारे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया.


'दोषी पाए जाने पर होगी रिकवरी और एफआईआर'


इस पूरे मामले को लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक दल सिंगार यादव ने बताया कि उक्त लिपिक की दूसरी मार्कशीट बोर्ड ने निरस्त कर दिया है. उक्त प्रकरण में लिपिक रामसनेही यादव पर कार्रवाई किए जाने के जवाब में उन्होंने कहा कि डीएम के निर्देश पर 2 सदस्य टीम गठित की गई है. एक बार फिर से इस पूरे मामले की जांच खुद करेंगे, उसके बाद अगर रामसनेही यादव दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ रिकवरी और एफआईआर तक की कार्रवाई कराई जाएगी.


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