यूपी विधानसभा का मानसून सत्र आज खत्म हो गया पर यह सत्र अपने आप में कई कारणों से चर्चा में रहा . एक कारण पहली बार AI विधानसभा होने का रहा तो वहीं दूसरा 24 घंटे के विजन डॉक्यूमेंट की भी चर्चा रही पर इस सत्र में विधानसभा के बाहर एक पार्टी की भी चर्चा खूब रही. यह पार्टी विधानसभा सत्र के पहले दिन हुई और इसकी फोटो मार्केट में आने के बाद "कुटुंब परिवार" में जाति विशेष के लोगों के शामिल होने पर खूब चर्चाएं हुई.

आपको बता दें कि 11 अगस्त को यूपी विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हुआ और इसी दिन शाम को राजधानी के होटल क्लार्क अवध में एक अलग हलचल दिखी. इस शाम यहां करीब 4 दर्जन के करीब विधायक पहुंचे, जिनमें एक को छोड़कर सभी क्षत्रिय समुदाय के थे. यह बैठक 'कुटुंब परिवार' के बैनर तले आयोजित हुई थी, जिसका आयोजन बीजेपी एमएलसी ओमवीर सिंह और कुंदरकी के विधायक रामवीर सिंह ने किया.

सपा से निष्कासित विधायक भी रहे मौजूद

इस बैठक में बीजेपी के अलावा समाजवादी पार्टी से निष्कासित विधायक भी मौजूद रहे. सभी मेहमानों को भगवान श्रीराम की मूर्ति, महाराणा प्रताप की तस्वीर और पीतल का त्रिशूल भेंट किया गया, जिसे सांस्कृतिक और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक माना गया. हालांकि आयोजन को लेकर अलग-अलग दावे सामने आए. कुछ नेताओं ने इसे रामवीर सिंह की जीत की खुशी में डिनर बताया, तो कुछ ने कहा कि यह उनके परिवार में पौत्री के जन्मदिन का जश्न था. आयोजकों का दावा है कि इसका राजनीति से कोई संबंध नहीं है.

जाति विशेष की गोलबंदी को लेकर चर्चा तेज

सूत्रों का कहना है कि बैठक में 4 दर्जन के करीब ठाकुर विधायक शामिल हुए. इस बैठक के बाद राजनीतिक गलियारों में एक जाति विशेष के गोलबंदी को लेकर के खूब चर्चाएं हुई और कहा गया कि वर्तमान परिस्थितियों में एक जाति विशेष के नेता एकजुट होकर अपनी एकजुटता का संदेश दे कर बड़ी शक्ति दिखाना चाहते हैं.

एबीपी न्यूज़ की पड़ताल में पता चला कि यह पहली बार नहीं है जब क्षत्रिय विधायक एक साथ बैठे हों. इससे पहले भी विधानसभा सत्र के दौरान कई बार अलग-अलग विधायकों ने इस तरह की पार्टियां की हैं, जिनमें समाज के लोग शामिल हुए. लेकिन इस बार की बैठक में अब तक सबसे ज्यादा क्षत्रिय विधायक पहुंचे.

डेढ़ साल पहले हुई थी कुटुंब परिवार की शुरुआत

‘कुटुंब परिवार’ की शुरुआत करीब डेढ़ साल पहले हुई थी. शुरुआत में सिर्फ आधा दर्जन विधायक शामिल हुए थे, जिससे आयोजकों का मनोबल थोड़ा गिरा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आगे भी बैठक करने की कोशिश जारी रखी.

करीब दो दर्जन लोग आयोजन में हुए शामिल

कुछ समय बाद एक अन्य विधायक ने आयोजन किया, जिसमें करीब दो दर्जन लोग आए. लेकिन उस बैठक में एक महिला विधायक ने कार्यक्रम का मकसद पूछ लिया और कहा कि जब उनके साथ अन्याय हुआ था, तब समाज के लोग कहां थे. इसके बाद माहौल बदल गया और लोग धीरे-धीरे चले गए.

अब तक की सबसे बड़ी कुटुंब परिवार बैठक

इस बार मानसून सत्र के दौरान फिर बैठक करने की योजना बनी और दो विधायकों ने मिलकर सबको बुलाया. इसमें करीब चार दर्जन लोग पहुंचे, जो अब तक की सबसे बड़ी ‘कुटुंब परिवार’ बैठक मानी जा रही है. लेकिन जैसे ही इसकी चर्चा बाहर फैली, राजनीतिक गलियारों में जातीयता की बातें शुरू हो गईं.