मुसलमानों के लिए नियम कायदे बनाने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने केंद्र सरकार को ये साफ कह दिया है कि उन्हें कॉमन सिविल कोड मंजूर नहीं है. बोर्ड ने कहा कि समान नागरिक संहिता चाहे आंशिक हो या पूर्ण, प्रत्यक्ष हो या फिर अप्रत्यक्ष उसे बोर्ड के मेंबर किसी भी सूरत में मंजूर नहीं करेंगे. इसके साथ ही प्रस्ताव में बढ़ती महिला हिंसा और बलात्कार पर अफसोस जताते हुए कहा गया है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार को बेहद सख्त कानून बनाने होंगे और भ्रूण हत्या को भी हर हाल में रोका जाना चाहिए.


इसके अलावा 27 वें अधिवेशन में ईशनिंदा के खिलाफ कानून बनाने की अपील भी की गई है. ताकि कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म के खिलाफ गलत टिप्पणी करता है तो उसे सजा मिल सके. साथ ही इसमें ये भी प्रस्ताव पारित किया गया है कि किसी भी धर्म की धार्मिक पुस्तक पर सरकार या कोई भी टिप्पणी ना करें. इसका अधिकार सिर्फ धर्मगुरुओं को ही दिया गया है.  2 दिन चले बोर्ड के अधिवेशन के बाद महामंत्री मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, मौलाना फजलुर रहीम मुजाहिदी, मौलाना महफूज रहमानी, मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, कासिम रसूल इलियास और मोहतरमा निखत ने आखिरी सेसन में पारित प्रस्तावों और फैसलों की जानकारी दी.


बोर्ड की बैठक में कहा गया है कि हाल में ही आखरी पैगंबर की शान में लगातार अपशब्द कहे गए. मोहम्मद साहब पूरी दुनिया के मुसलमानों के रहबर और रहनुमा हैं. उनकी शान में गुस्ताखी से पूरी दुनिया के मुसलमानों के जज्बातों को ठेस पहुंच रही है. पर सरकार इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही. इसलिए बोर्ड ने सरकार से इसके लिए सख्त कानून बनाने की मांग की है. यहां सदस्यों ने ये भी कहा है कि जबरन धर्म परिवर्तन गलत है और इस्लाम जबरन धर्म परिवर्तन करने के खिलाफ है. लेकिन अपने धर्म की अच्छी बातें बताने पर संविधान में कोई रोक नहीं है. साथ ही ये भी कहा गया है कि हाल ही में कुछ लोगों की गिरफ्तारी हुई है जिन्हें अब छोड़ा दिया जाए. इसके अलावा शादियों में बेटी की मर्जी का भी ख्याल रखा जाए.


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