अमेठी: कांग्रेस की विरासत संसदीय सीट अमेठी में इस बार काफी रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता हैं। इस बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं। याद हो तो 2014 में यहां से स्मृति ईरानी ने राहुल को कड़ी टक्कर दी थी, हालांकि वो जीत नहीं सकी थीं। इसके बावजूद क्षेत्र में ईरानी की सक्रियता बनी रही, ऐसे में माना जा रहा है कि 2019 का मुकाबला काफी रोचक होने वाला है।


पांच साल में 34 बार अमेठी आ चुकीं हैं ईरानी


अमेठी में राहुल का गढ़ किस तरह से भेदने का बीजेपी का इरादा है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि पिछले पांच साल में केंद्र में मंत्री बनने के बाद से स्मृति ईरानी 34 बार अमेठी आ चुकी हैं।


राहुल ने पांच साल में गुजारे 38 दिन


दूसरी ओर बात कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की करें तो वे 2014 से अबतक अपने संसदीय क्षेत्र में 38 दिन गुजार चुके हैं।


6 मई को अमेठी में चुनाव


छह मई को पांचवें चरण में अमेठी में मतदान होना है। हालांकि 2014 के आम चुनाव के बाद से ही लगातार अमेठी के विकास को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज रही। स्मृति ईरानी राहुल का घेराव करती रहीं, तो राहुल गांधी ने भी केंद्र की मोदी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा। अमेठी में लगातार स्मृति ईरानी का चुनावी दौरा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से बीजेपी का उत्साह काफी बढ़ा हुआ है। अब ये देखने वाली बात होगी कि बीजेपी के उत्साहित और जोशीले कार्यकर्ता कितने वोटरों को मतदान बूथ तक ले आने में सक्षम होंगे।


राहुल-स्मृति, आमने-सामने...रोचक होगा मुकाबला


राहुल गांधी अमेठी में विकास के भले ही तमाम दावे करते हों, लेकिन पिछले दो चुनावों पर नजर डालें तो जिस तरह से उनके वोट प्रतिशत में अंतर देखने को मिला है, उससे उनके दावों पर सवालिया निशान भी उठते हैं। 2009 के आम चुनाव में राहुल ने जहां अमेठी से 3.70 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी, वहीं 2014 के चुनाव में जीत का ये अंतर घटकर 1.07 लाख पहुंच गया था। 2014 में बीजेपी ने राहुल गांधी के सामने स्मृति ईरानी को चुनावी दंगल में उतारा। वो भले ही ये चुनाव जीत नहीं सकीं, लेकिन राहुल के वोट प्रतिशत को पटखनी देने में कामयाब रहीं। 2014 में वोटों की गिनती के दौरान शुरुआती रुझानों में स्मृति ईरानी का दबदबा रहा। ऐसे में 2014 में जिस तरह से राहुल को वोटरों की नाराजगी झेलनी पड़ी थी, इस लिहाज से 2019 का मुकाबला वाकई दिलचस्प होता दिख रहा है।


केरल की वायनाड सीट से भी मैदान में उतरे राहुल 


अपनी विरासत सीट अमेठी के अलावा राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से भी चुनावी मैदान में उतरे हैं।  हालांकि राहुल के वायनाड से चुनाव लड़ने से लेफ्ट नाराज है, तो बीजेपी ने इसे चुनावी मुद्दा बनाने का मौका नहीं छोड़ा है। बता दें कि वायनाड सीट से केरल में सत्तारूढ़ वामपंथी दलों के गठबंधन लोकतांत्रिक मोर्चा ने सीपीआई के पीपी सुनीर को मैदान में उतारा है। वाम दलों ने राहुल को अदृश्य भगवान की तरह बताया  और कहा कि  अपने पारिवारिक गढ़ से जीतना आसान होगा, लेकिन वायनाड की धरती अलग है।


उधर, अमेठी का रण जीतने की जद्दोजहद में जुड़ीं ईरानी ने राहुल के वायनाड से चुनाव लड़ने पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल अमेठी की जनता के कंधे पर चढ़कर लोकसभा पहुंचे और अब उन्हें धोखा देकर दूसरी जगह से भी चुनाव लड़ रहे हैं।


लगातार तीन बार से अमेठी से सांसद


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार तीन बार से उत्तर प्रदेश की अमेठी संसदीय सीट से सांसद हैं। राहुल ने मार्च 2004 में राजनीति में एंट्री की थी। वे पहली बार 2004 में अमेठी से जीत दर्ज कर सांसद बने। इसके बाद 2009 और 2014 में भी राहुल अमेठी से जीतकर संसद पहुंचे।


गांधी परिवार की विरासत सीट है अमेठी




  • उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट को गांधी परिवार के गढ़ के तौर पर देखते हैं।

  • यूपी की VIP सीटों में अमेठी का नाम शामिल।

  • पिछले दस साल से राहुल गांधी यहां के सांसद हैं।

  • राहुल गांधी से पहले सोनिया गांधी 1999 से लेकर साल 2004 तक यहां की सासंद रही

  • देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी 1981 से 1991 में अपने निधन तक यहां से सांसद रहे।

  • राहुल गांधी पहली बार 2004 में यहां से चुनाव लड़े और जीते।


किस सीट ने कितनी बार दर्ज की जीत


अबतक देश में 16 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं, अमेठी सीट पर दो बार उपचुनाव भी हुआ। कांग्रेस ने इन चुनावों में 16 बार अमेठी संसदीय सीट पर जीत दर्ज की है। 1977 में भारतीय लोकदल और 1998 में बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। 1999 से लगातार अमेठी पर ‘हाथ’ का कब्जा है।