Lok Sabha Election 2024: गाजीपुर में अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है और उसके लिये आज से नामांकन की प्रक्रिया शुरु हो गयी है.नामांकन की प्रक्रिया 17 मई तक पूरी कर ली जायेगी और उसके बाद प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह का आवंटन किया जायेगा.गाजीपुर लोकसभा सीट पूर्वांचल ही नहीं देश की सबसे चर्चित लोकसभा सीटों में से एक है जिसकी वजह है कि यहां से मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है. वहीं बीजेपी उम्मीदवार पारसनाथ राय मनोज सिन्हा के करीबी माने जाते है.


दरअसल अफजाल को गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट से 4 साल सजा हुई थी और इसके खिलाफ हाइकोर्ट में अफजाल की अपील पर 13 मई को सुनवाई होनी है.इसमें सस्पेंस इसलिये बना हुआ है कि गाजीपुर में 14 मई को नामांकन की अंतिम तिथि है और 17 मई नाम वापसी की अंतिम तिथि है.ऐसे में यदि नामांकन खत्म होने से पहले अफजाल अंसारी के केस में फैसला आ जाता है और वो फैसला उनके पक्ष में आता है तब तो उनके चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो जायेगा लेकिन यदि फैसला आने में देरी होती है या फैसला उनके पक्ष में नहीं आता है तो उनका चुनाव लड़ना मुश्किल हो जायेगा और तब उनकी बेटी नुसरत अंसारी चुनाव लड़ेगी.


2019 में मनोज सिन्हा की हुई थी हार
पिछले लोकसभा चुनाव में अफजाल अंसारी ने मनोज सिन्हा को हराया था और बसपा से सांसद चुने गये थे.इस बार अफजाल अंसारी सपा से चुनाव लड़ रहे हैं और मनोज सिन्हा के करीबी और वरिष्ठ आएएसएस कार्यकर्ता पारसनाथ राय उनको कितना  टक्कर दे पाते हैं सभी की निगाह इसपर बनी हुई है.गाजीपुर सीट के चर्चा में होने की जो दूसरी सबसे बड़ी वजह ये है कि इस सीट से अंतिम रूप से सपा के प्रत्याशी अफजाल अंसारी होंगे या उनकी बड़ी बेटी नुसरत अंसारी प्रत्याशी होगी इस बात पर सस्पेंस बना हुआ है.


अफजाल को 4 साल की हुई थी सजा
अफजाल अंसारी भी साफ कर चुके हैं कि यदि ऐसी परिस्थिति बनती है वो नुसरत को चुनाव में में उतारेंगे.नुसरत लगातार चुनाव प्रचार भी कर रहीं हैं और घर-घर जाकर अपने पिता के पक्ष में वोट की अपील कर रहीं हैं.अफजाल अंसारी को गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 29 अप्रैल 2023 को गैंगेस्टर के मामले में 4 साल की सजा सुनायी थी साथ ही 1 लाख का जुर्माना भी लगाया था.उस समय अफजाल अंसारी गाजीपुर से सांसद थे और इस सजा के बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द हो गयी थी और उनको जेल जाना पड़ा था.हाईकोर्ट से बाद में जमानत मिल गया था.


सुप्रीम कोर्ट ने सदस्यता की थी बहाल
अफजाल अंसारी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट गये और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी संसद सदस्यता इस शर्त के साथ बहाल कर दी थी की वो सांसद के तौर पर कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं पा सकेंगे. पर अपनी सांसद निधि का प्रयोग कर सकेंगे.सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को माना था कि अफजाल अंसारी चुने हुये जनप्रतिनिधि हैं और सांसद निधि का प्रयोग न होने की स्थिति में इनके क्षेत्र के विकास कार्य प्रभावित हो सकते हैं.साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को 30 जून तक अफजाल अंसारी के मामले का निस्तारण करने का भी आदेश दिया था.


नुसरत संभाल सकती है अपनी पिता की विरासत
अफजाल यदि चुनाव लड़ते हैं और बाद में हाइकोर्ट से उनकी सजा बरकरार हो जाती है तो फिर उनकी संसद सदस्यता रद्द हो सकती है और फिर पिछली बार के हालात उनके सामने पैदा हो जायेंगे.नुसरत अभी घर-घर जाकर वोट तो अपने पिता के लिये मांग रही हैं पर गाजीपुर की जनता इस बात को बखूबी समझ रही है कि आने वाले समय में नुसरत अपने पिता की राजनीतिक विरासत को सम्हाल सकती है.


चुनाव के केंद्र में है मुख्तार अंसारी
अभी भी गाजीपुर की राजनीति का केंद्र मुख्तार अंसारी बना हुआ है.अफजाल अंसारी जहां मुख्तार को अपने परिवार का हीरो बता रहे हैं और उसे मसीहा कह रहे है. वहीं बीजेपी प्रत्याशी मुख्तार को आतंकवादी बता कर अफजाल पर जवाबी हमला कर रहे हैं.यदि बात करें अंसारी परिवार को तो गाजीपुर ही नहीं पूरे पूर्वांचल की राजनीति में अंसारी परिवार का दबदबा रहा है.अभी भी इस परिवार में एक सांसद और दो विधायक हैं.


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