UP Lok Sabha Election 2024: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पहले जयंत चौधरी ने उनका साथ छोड़ा, फिर स्वामी प्रसाद मौर्य - सलीम शेरवानी और मनोज पांडेय जैसे नेता बागी हुए, इसके बाद राज्यसभा चुनाव में आधा दर्जन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी. अखिलेश यादव इन झटकों से उबर भी नहीं पाए कि अब असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने उन्हें मुस्लिम वोटों में सेंधमारी करने की बडी धमकी दी है.


ओवैसी की पार्टी ने लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव से समझौते की इच्छा जताते हुए पांच सीटों की डिमांड कर दी है. अखिलेश यादव को यह धमकी भी दी गई है कि अगर उन्होंने एमआईएम से समझौता कर उसे पांच सीटें नहीं दी तो असदउद्दीन ओवैसी यूपी में न सिर्फ खुद किसी सीट से चुनाव लडेंगे, बल्कि मुस्लिम बाहुल्य पचीस दूसरी सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतारेंगे. ऐसे में मुस्लिम वोटों का बंटवारा होने की पूरी जिम्मेदारी अखिलेश यादव की होगी. दावा यह भी किया जा रहा है कि ओवैसी ने हैदराबाद के साथ ही यूपी से भी चुनाव लड़ने वाली सीट भी तय कर ली है. हालांकि इस सीट का नाम अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है.   


'विपक्षी वोटों का रोकें बिखराव'
ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लेमीन के प्रवक्ता मोहम्मद फरहान साहेब के मुताबिक अगर अखिलेश यादव सही मायनों में बीजेपी से लड़ना और उसे तीसरी बार सरकार बनाने से रोकना चाहते हैं तो उन्हें यूपी में विपक्षी वोटों का बिखराव रोकना होगा. उनके मुताबिक असदउद्दीन ओवैसी मौजूदा दौर में मुसलमानों के इकलौते नेता हैं. हर लोकसभा सीट पर उनका बड़ा वोट बैंक है. प्रवक्ता मोहम्मद फरहान का कहना है कि उनके नेता ओवैसी ही सही मायनों में बीजेपी के खिलाफ लड़ रहे हैं. इसीलिए खुद ओवैसी यह चाहते हैं कि अखिलेश यादव यूपी में उनकी पार्टी को भी अपने इंडिया गठबंधन में शामिल करें और चुनाव लड़ने के लिए पांच सीटें भी छोड़ें. 


'पचीस दूसरी सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतारेंगे'
प्रवक्ता फरहान के मुतबिक जिस तरह महाभारत के युद्ध में पांडवों ने सिर्फ पांच गांव मांगे थे, उसी तरह ओवैसी यूपी में अस्सी में से सिर्फ पांच सीट ही चाहते हैं. अगर अखिलेश यादव इसके लिए राजी होते हैं तो ठीक, नहीं तो उन्हे सबक सिखाने के लिए असदउद्दीन ओवैसी हैदराबाद के साथ ही यूपी की एक सीट से भी चुनाव लडेंगे. उनका कहना है कि ऐसी सूरत में ओवैसी अकेले ही ताल नहीं ठोकेंगे, बल्कि यूपी में मुस्लिम बाहुल्य पचीस दूसरी सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतारेंगे.


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प्रवक्ता फरहान का कहना है कि अखिलेश यादव अभी तक ओवैसी और उनकी पार्टी को बीजेपी की बी टीम बताकर अछूत समझते थे, लेकिन अब उन्हे यह साफ करना होगा कि वह मुसलमानों और दलितों की आवाज उठाने वालों के साथ रहना पसंद करेंगे या फिर वोटों का बंटवारा कराकर खुद बीजेपी के लिए मैदान साफ़ करना चाहते हैं. 


'यूपी में जय मीम - जय भीम का नारा बुलंद'
प्रवक्ता फरहान का कहना है कि असदउद्दीन ओवैसी इस चुनाव में यूपी में जय मीम - जय भीम का नारा बुलंद करना चाहते हैं. अगर अखिलेश यादव समझौते में पांच सीटें छोड़ देते हैं तो ओवैसी यूपी से चुनाव नहीं लड़ेंगे और हैदराबाद की अपनी पुरानी सीट से ही किस्मत आजमाएंगे. समझौते की सूरत में नगीना सीट पर पार्टी के दलित नेता पवन अंबेडकर को उम्मीदवार बनाया जाएगा, जबकि आजमगढ़ सीट से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली चुनाव लडेंगे. बाकी तीन सीटों मुरादाबाद - संभल और आंवला पर उम्मीदवार बाद में तय किए जाएंगे.


प्रवक्ता मोहम्मद फरहान के मुताबिक असदउद्दीन ओवैसी के लिए यूपी में ऐसी सीट तय की गई है जहां किसी भी विपक्षी की जमानत नहीं बचेगी. हालांकि उन्होंने सीट के नाम का फैसला नहीं किया. 


'भीख में नहीं मांग रहे पांच सीटें'
प्रवक्ता फरहान ने साफ़ तौर पर कहा है कि ओवैसी और उनकी पार्टी अखिलेश यादव से भीख में पांच सीटें नहीं मांग रही, बल्कि उसके बदले बाकी पचहत्तर सीटों पर बीजेपी के खिलाफ विपक्षी वोटों का बिखराव रोका जाएगा. उन्होंने बताया कि समझौते को लेकर सपा नेताओं से बातचीत भी चल रही है. उम्मीद है कि बात बन जाएगी, लेकिन अगर समझौता नहीं होता तो उसकी जिम्मेदारी अकेले अखिलेश यादव की होगी और उसका खामियाजा भी उन्हे ही भुगतना होगा. उनके मुताबिक यूपी की तमाम सीटों के लोग चाहते हैं कि ओवैसी उनके यहां से चुनाव लड़ें, लेकिन बहुत सोच समझकर एक सीट अंतिम तौर पर तय कर ली गई हैं. इसका नाम बाद में घोषित किया जाएगा.