UP Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दूसरी जाट बाहुल्य हाथरस लोकसभा को माना जाता है. यहां इगलास, सादाबाद, छर्रा, शिकन्द्राराउ और हाथरस विधानसभा सहित पूरे हाथरस में जाटों का अच्छा खासा वोट बैंक है. यहां किसी भी चुनाव में जाट समुदाय के द्वारा निर्णायक भूमिका निभाई जाती है. लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का आरएलडी से गठबंधन है. जयन्त चौधरी के द्वारा भी भारतीय जनता पार्टी को जमीनी पटल पर भाजपा को जीत दिलाने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को भाजपा का समर्थन करने के लिए आदेश भी दिए.


हाथरस लोकसभा की अगर बात कही जाए तो यहां राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी से जिस सम्मान की अपेक्षा करते है वो सम्मान उनको नहीं मिल रहा है. भारतीय जनता पार्टी के द्वारा आयोजित की जा रही ज्यादातर सभाओं में ऐसा लगातार देखने को मिल रहा है. राष्ट्रीय लोकदल के कार्यकर्ताओं के द्वारा अंदर खाने इस बात का विरोध करना भी शुरू कर दिया है. जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी जाटों का वोट बैंक अपने हिस्से में होने के दावे कर रही है. वहीं दूसरी ओर लोकसभा हाथरस क्षेत्र में ज्यादातर मीटिंग में राष्ट्रीय लोकदल के दिग्गज पदाधिकारी मीटिंग में नजर नहीं आ रहे है.  भारतीय जनता पार्टी जाटों के वोट बैंक होने के दावे कर रही है. वहीं जमीनी पटल पर दिग्गज कार्यकर्ताओं को किनारे किया जा रहा है. इस बात का अंदाजा लगातार हो रही मीटिंगों से राजनीति की जानकारी के द्वारा लगाया जा रहा है.


7 मई को है वोटिंग
हाथरस में तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होने हैं उससे पहले अगर जाट समुदाय को भारतीय जनता पार्टी मनाने में चूक जाती है तो निश्चित तौर पर लोकसभा हाथरस में भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ा झटका लग सकता है. यहां चुनावी मैदान में 18 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए थे. नामांकन जांच के दौरान आठ निर्दलीय उम्मीदवारों के नामांकन निरस्त कर दिए गए. 22 अप्रैल को नाम वापसी की प्रकिया पूरी होने के बाद 10  प्रत्याशी मैदान में रह गए हैं.


भारतीय जनता पार्टी ने राजस्व मंत्री अनूप बाल्मीकि को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं समाजवादी पार्टी ने जसवीर वाल्मीकि को टिकट दिया है. जबकि बसपा की ओर से बाबू सिंह धनगर चुनावी मैदान में है. लोकसभा चुनाव में 7 प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. तीनों प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. भाजपा सपा और बसपा के तीनों दिग्गजों के द्वारा चुनाव में ताल ठोकने के बाद जनता को तमाम तरह के वादे किए जा रहे हैं. चुनाव जीतने के लिए हर रोज तीनों प्रत्याशी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव में अन्य प्रत्याशियों को पीछे छोड़ने के दावे कर रहे हैं लेकिन जाट समुदाय का वोट बैंक अगर छिड़कता है तो निश्चित तौर पर बसपा और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को लाभ मिल सकता है.


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