UP Lok Sabha Chunav 2024: गाजीपुर में शुक्रवार को दो मुख्य पार्टियों के प्रत्याशियों ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया. अब सबकी नजर अफजाल अंसारी और उनकी बेटी नुसरत अंसारी के नामांकन पर है. अफजाल अंसारी और नुसरत अंसारी दोनों के नाम से नामांकन पत्र लिये गये हैं और सूत्रों की मानें तो दोनों ही लोग नामांकन करेंगे और बाद में इनमें से एक अपना नामांकन वापस ले लेगा. ज्यादा संभावना इसी बात की जताई जा रही है कि नुसरत अंसारी ही सपा की प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगी. नुसरत के चुनाव लड़ने के लिये एसपी मुखिया अखिलेश यादव की सहमति जरूरी है और ऐसी चर्चा है कि अफजाल अंसारी इसके लिये प्रयास कर रहे हैं.


बीजेपी प्रत्याशी पारसनाथ राय ने शुक्रवार को अपना नामांकन किया. पारसनाथ राय के नामांकन में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी और यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक समेत कई अन्य मंत्री मौजूद रहे. नामांकन के बाद पारसनाथ राय ने मीडिया से बातचीत के दौरान अफजाल अंसारी पर तंज कसा और कहा कि "वो चालीस साल से राजनीति में हैं पर चुनाव लड़ाने के लिये उनको अपनी बेटी के अलावा कोई नहीं दिख रहा है. ये परिवारवाद का घृणित नमूना है." वहीं बसपा प्रत्याशी उमेश सिंह ने भी नामांकन करते हुए अपनी जीत किया. उमेश सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान दावा किया कि बसपा का जनाधार बढ़ रहा है और जनता उनके साथ है. उमेश सिंह ने दावा किया कि जनता खुद मेरे और विरोधियों के बीच में खड़ी है.


प्रत्याशियों की क्या है प्रोफाइल
बीजेपी प्रत्याशी पारसनाथ राय पेशे से एक शिक्षक हैं और जखनियां के सिखड़ी के रहने वाले हैं. वो लंबे समय से आरएसएस से जुड़े हुए हैं और पंडित मदन मोहन मालवीय इंटर कालेज के प्रबंधक भी हैं. उनके राजनीतिक जीवन की बात करें तो पारसनाथ राय सीधे तौर पर कभी राजनीति में नहीं रहे और आमजन से उनका राजनीतिक सरोकार कम ही रहा है. उनको मनोज सिन्हा का करीबी माना जाता है और यही वजह है कि अफजाल अंसारी बार-बार उनको मनोज सिन्हा के पाकेट का आदमी बता रहे हैं.


बसपा प्रत्याशी डॉ उमेश सिंह की बात करें तो उमेश सिंह मूलरूप से गाजीपुर की सैदपुर तहसील के मुड़ियार गांव के रहने वाले हैं. उमेश सिंह पेशे से एक वकील हैं और उन्होंने एलएलएम की डिग्री ले रखी है. साथ ही लखनऊ विश्वविद्यालय से उन्होंने ला में डाक्टरेट की उपाधि हासिल की है. बीएचयू से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई की है और छात्रसंघ के महामंत्री भी रहे हैं. उमेश अन्ना आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं और अरविंद केजरीवाल के साथ इस आंदोलन की कोर टीम में शामिल रहे हैं. राजनीतिक जीवन की बात करें तो उमेश गाजीपुर की राजनीति में कभी सक्रिय नहीं रहे और ये पहला मौका है जब वो यहां की जनता के सामने प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं.


कैसा है अफजाल अंसारी का राजनीतिक सफर? 
अब सपा की बात करें तो अफजाल अंसारी की तो वो पांच बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं. वर्तमान में भी वो सपा से सांसद हैं. अफजाल अंसारी पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मनोज सिन्हा को हराकर सांसद बने थे. अफजाल अंसारी और मनोज सिन्हा दोनों ही मुहम्मदाबाद के रहने वाले हैं और दोनों की प्रारम्भिक शिक्षा एक साथ ही हुई है. अफजाल मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं. अगर मुख्तार अंसारी की भतीजी और अफजाल अंसारी की बेटी नुसरत अंसारी की बात करें तो नुसरत ने रूरल देवलोपमेंट में पीजी किया है. स्नातक की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली के नामचीन लेडी श्रीराम कालेज से किया है. नुसरत लगातार गाजीपुर में चुनाव प्रचार भी कर रहीं हैं.


क्या है गाजीपुर का जातिगत समीकरण
एक अनुमान के अनुसार गाजीपुर में 43 प्रतिशत के करीब पिछड़ी और अन्य पिछड़ी जातियां हैं. मुस्लिम आबादी करीब 12.5 प्रतिशत है तो एससी-एसटी 21 प्रतिशत के करीब हैं. वहीं सवर्ण जातियां 17 प्रतिशत के करीब हैं. बाकी अन्य जातियां हैं. पिछले लोकसभा चुनावों की बात करें तो सपा और बसपा का गठबंधन था और  गठबंधन से अफजाल अंसारी प्रत्याशी थे. उन्होंने करीब एक लाख बीस हजार मतों से मनोज सिन्हा को हराया था. 


इस बार अफजाल अंसारी सपा से चुनाव लड़ रहे हैं और भाजपा से मनोज सिन्हा के करीबी माने जाने वाले पारसनाथ राय प्रत्याशी हैं. वहीं बसपा ने उमेश सिंह को प्रत्याशी बनाया है जो कि सवर्ण बिरादरी से आते हैं.उमेश सिंह यदि अपनी पार्टी के बेस वोट के साथ सवर्ण वोट लेने में सफल होते हैं तो वो अच्छी फाइट देंगे और मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. बीजेपी भी यदि अपने बेस वोट के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग और दलितों के वोट में सेंधमारी कर सके तो अच्छी टक्कर दे सकती है. अफजाल अंसारी के साथ यदि यादव और मुस्लिम मतदाता आते हैं तो अफजाल भी अच्छी फाइट में रहेंगे. गाजीपुर में सातवें और अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है.


आशुतोष त्रिपाठी की रिपोर्ट


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