UP Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव में पूरे दमखान के साथ बिना किसी पार्टी से गठबंधन करके चुनाव मैदान में बिगुल फूंक रही बीएसपी अचानक से पिछले दो दिनों से उत्तर प्रदेश में चर्चा में आ गई है आखिर अंतिम समय में बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश की दो हॉट सीटों के उम्मीदवारों का नाम बदलने के लिए क्यों विवश हुई, आखिर क्या कारण है कि कभी उत्तर प्रदेश में सरकार चलाने वाली मायावती आज किसी दबाव में आकर या प्रभाव में होकर अपने ही उम्मीदवारों पर भरोसा नहीं कर पा रही. बस्ती लोकसभा सीट भी मायावती की फैसले के बाद चर्चा में आ गया है आखिर कैंडिडेट बदले जाने के बाद बस्ती लोकसभा का क्या समीकरण हैं.
 
5 अप्रैल 2024 को अचानक से जब बीजेपी के 35 साल पुराने खाटी नेता और जिला अध्यक्ष रहे दयाशंकर मिश्र बीएसपी में शामिल हुए और उन्हें बस्ती लोकसभा का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया गया. इसके बाद से ही कयास लगाए जाने लगे कि भाजपा के प्रत्याशी और दो बार के सांसद हरीश द्विवेदी के सामने ब्राह्मण चेहरा लाने पर बीएसपी को काफी फायदा होगा. बस्ती लोकसभा की राह बीएसपी के लिए आसान हो जाएगी मगर जैसे-जैसे वक्त बिता ठीक एक महीने बाद यानी की 6 मई 2024 को अचानक से फिर नामांकन के अंतिम समय में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने ही कैंडिडेट दयाशंकर मिश्र का टिकट काटकर बीएसपी के पूर्व विधायक रहे दिवंगत जितेंद्र चौधरी उर्फ नंदू के बेटे लवकुश पटेल को उम्मीदवार घोषित करते हुए टिकट की घोषणा कर दी. दयाशंकर मिश्र का टिकट काटते ही बस्ती की राजनीति में भूचाल से आ गया और तमाम तरह के कयास लगाए जाने लगे.


टिकट कटने के पीछे बीजेपी सांसद को बताया जिम्मेदार
बीएसपी कैंडिडेट दयाशंकर मिश्रा का टिकट कटने के बाद जातीय समीकरण का सीधा फायदा बीजेपी को होता दिख रहा है जिस वजह से गठबंधन प्रत्याशी राम प्रसाद चौधरी की लोकसभा में पहुंचने की कोशिश अब और भी मुश्किल नजर आ रही है. टिकट कटने के बाद पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए बीएसपी के नेता दयाशंकर मिश्र ने बातचीत में कहा कि उनके साथ राजनीति की गई है और इसके पीछे उन्होंने बीजेपी सांसद और कैंडिडेट हरीश द्विवेदी को जिम्मेदार ठहराया है.


उन्होंने बीजेपी सांसद पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह पहले भी कहते थे कि हम आपको चुनाव नहीं लड़ने देंगे और उन्होंने साजिश करके हमारा टिकट कटवा दिया. आज हरीश जीत गए और मैं हार गया. दयाशंकर मिश्र ने कहा कि अधिकृत तौर पर अभी तक उन्हें बसपा की तरफ से कोई सूचना नहीं दी गई है मगर अभी भी वे बसपा में है और जब तक बसपा सुप्रीमो मायावती का कोई आदेश उन्हें नहीं मिलता वह पार्टी के लिए काम करते रहेंगे. 10 मई के बाद वह कार्यकर्ताओं से बातचीत करने के बाद अपनी आगे की राजनीति की दिशा को तय करेंगे.


वहीं अंत समय में घोषित हुए बीएसपी के नए प्रत्याशी लवकुश पटेल ने मीडिया से बात करते हुए अपना विजन रखा और कहा कि वे युवा है और हमेशा से जनता के बीच रहते आए हैं उनके पिता भी बस्ती सदर विधानसभा से दो बार विधायक रह चुके हैं. ऐसे में उनके लिए राजनीति कोई नई नहीं है. बसपा में भी काफी दिन से मेहनत भी कर रहे हैं. टिकट को लेकर बसपा प्रत्याशी लवकुश पटेल ने कहा कि उन्हें ऊपर से शुक्रवार को ही नामांकन करने के लिए कह दिया गया था. इसलिए कुछ लोग अपना दिमाग लगाकर टिकट लेकर आए थे. मगर बीएसपी के अब वे प्रत्याशी हैं और कार्यकर्ताओं के सहयोग से वे चुनाव लड़ रहे हैं.


दयाशंकर की टिकट कटने पर क्या पड़ेगा असर? 
वहीं अगर टिकट कटने के बाद बस्ती के राजनीतिक समीकरण की बात करें तो वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अवधेश त्रिपाठी ने बताया कि निश्चित तौर पर दयाशंकर मिश्र के बीएसपी से चुनाव लड़ने से बड़ी संख्या में ब्राह्मण वोटर उनके साथ था लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है और दयाशंकर मिश्र के चुनाव मैदान से हटाने के बाद इसका सीधा फायदा भाजपा को हो रहा है और बीएसपी के प्रत्याशी लवकुश पटेल कुछ खास प्रभाव नहीं कर पाएंगे. फिलहाल बस्ती लोकसभा की लड़ाई अब रोचक होती जा रही है. एक तरफ जहां बीजेपी के दो बार के सांसद चुनाव मैदान में है तो दूसरी तरफ पूर्व मंत्री रहे राम प्रसाद चौधरी गठबंधन से चुनाव लड़ रहे तो वहीं अब बसपा ने गठबंधन प्रत्याशी राम प्रसाद चौधरी के ही भतीजे लवकुश पटेल को टिकट देकर अच्छे-अच्छे रणनीतिकारों का खेल बिगाड़ दिया है.


ये भी पढे़ं: Uttarakhand News: अयोध्या में जल्द बनेगा उत्तराखंड भवन, पूरी हुईं जमीन खरीदी की प्रक्रिया