Lok Sabha Election 2024: बहुजन समाज पार्टी (BSP) 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर काफी गंभीर है क्योंकि पार्टी को 2023 के निकाय चुनाव में भी सफलता नहीं मिली 2022 के विधानसभा चुनाव में भी सिर्फ एक सीट पर उसे जीत मिली थी, लेकिन इस बार बीएसपी सुप्रीमो मायावती (Mayawati) कहीं पर भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती और इसीलिए अब पार्टी के कोऑर्डिनेटर पदाधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि स्थानीय स्तर पर नए नेताओं को तैयार किया जाए जो किसी खास विशेष वर्ग में पकड़ रखते हैं.


बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी लोकसभा के चुनाव की तैयारी शुरू कर दी अलग-अलग राज्यों के पदाधिकारियों के साथ बैठक करने के अलावा कोऑर्डिनेटर और पदाधिकारियों को कैडर को फिर से तैयार करने के निर्देश दिए जा चुके हैं. बीएसपी सुप्रीमो की कोशिश है कि पार्टी के भीतर वर्ग विशेष में अच्छा खासा प्रभाव रखने वाले नेताओं को स्थानीय स्तर पर डिवेलप किया जाए यानी ऐसे नेता जो किसी विशेष वर्ग से समुदाय से आते हैं और उनमें नेतृत्व करने की क्षमता है उन्हें तलाश करने के निर्देश दिए गए हैं. 


बीएसपी सुप्रीमो ने कहा है कि स्थानीय सम्मेलनों में इन नेताओं को बोलने के लिए मंच दिया जाए. साथ ही अगर वह कार्यक्रम या जनसभा करा सकते हैं तो उन्हें पार्टी में बड़ा पद देने की बात कही गई है. हर क्षेत्र से सभी धर्म वर्ग संप्रदाय के ऐसे नेताओं की तलाश करने के निर्देश दिए गए हैं. 


चुनाव से पहले बसपा ने बदली रणनीति


बीएसपी की रणनीति बदलने के पीछे भी बड़ी वजह है पहले बीएसपी के पास अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग जाति धर्म वर्ग से आने वाले ऐसे प्रभावशाली नेता थे जिनका अपने इलाके में और अपने वोट बैंक पर मजबूत पकड़ रहती थी, लेकिन कुछ लोग पार्टी छोड़ कर चले गए तो कुछ लोगों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. 2017 के बाद तो यह सिलसिला और तेज हो गया फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा सिर्फ एक सीट पर सिमट कर रह गई. 2023 के निकाय चुनाव में भी बसपा का मुस्लिम कार्ड काम नहीं आया.


बीजेपी ने किया ये दावा


एक वक्त था जब बीएसपी में दद्दू प्रसाद, आर के चौधरी, राम अचल राजभर, लालजी वर्मा, स्वामी प्रसाद मौर्य, दीनानाथ भास्कर, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा, रामवीर उपाध्याय, ठाकुर जयवीर सिंह जैसे नेता हुआ करते थे. जिनका अपने क्षेत्र में और अपने समाज में अच्छा प्रभाव था लेकिन कुछ लोग पार्टी से बाहर कर दिए गए तो कुछ पार्टी छोड़ कर चले गए. हालांकि बीजेपी के नेता बीएसपी की बदली हुई रणनीति पर कह रहे हैं कि अब उनका कोई जनाधार नहीं है वह कोई भी रणनीति तैयार कर ले जनता बीजेपी के साथ जाने वाली है. 


दरअसल बसपा का एक वक्त अच्छा खासा प्रभाव हर एक क्षेत्र में हुआ करता था और इसके नेताओं की ना सिर्फ अपने क्षेत्र में बल्कि अपने कैडर और वोट बैंक पर भी अच्छी पकड़ थी, लेकिन धीरे-धीरे जब नेता पार्टी छोड़कर चलते बने तो उन्होंने इसके पीछे पार्टी की बदलती नीति को जिम्मेदार बताया और इसका संदेश ना सिर्फ पार्टी के बाहर बल्कि कैडर के बीच भी गया कि पार्टी अपनी नीति से अलग चल रही है. यही वजह है कि बसपा अब फिर से एक प्रभावशाली लीडरशिप तैयार करने में जुट गई है. 


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