Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी राजनीतिक दल अपने-अपने दांव-पेंच लगाने में जुट गए हैं, जहां बीजेपी घर-घर जाकर वोटरों से सपंर्क करने की तैयारी कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने भी तमाम जातियों को जोड़ने की कवायद तेज कर दी है. सपा की नजर कश्यप और निषाद समाज पर है, जिसे लेकर पार्टी ने नई रणनीति बनाई है. जिसके तहत अब सभी जनपदों में सजातीय समाज के सम्मेलन किए जाएंगे. 


समाजवादी पार्टी की नजर पिछड़े वर्ग की उन जातियों पर है जो पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी के साथ दिखाई दे रही हैं. ऐसे में इन्हें जोड़ने के लिए सपा ने नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. इससे पहले 13 अक्टूबर को अखिलेश यादव ने निषाद, कश्यप, मझवार, रैकवार, तुरहा, कहार, मझवार समेत सजातीय प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की थी और उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया है कि केंद्र की सत्ता में प्रभावी भूमिका में आने पर वो इस समाज के लोगों के आरक्षण संबंधी मांगों को पूरा करने के ले ईमानदारी से प्रयास करेंगे.


सजातीय सम्मेलन के जरिए जुड़ेंगे 


अखिलेश ने इन जातियों के प्रतिनिधियों से कहा कि पहले उन्हें सपा को जिताने के लिए जनाधार बढ़ाने में मदद करनी होगी. सपा अब अब हर जिले में सजातीय समाज के बीच सम्मेलन की तैयारी कर रही है, जिसके लिए जिलावार पार्टी के ओबीसी मोर्चा के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी भी दी गई है कि वो इस समाज के लोगों से बात करें और जातीय जनगणना के बारे जानकारी दें. बताएं कि किस तरह से जातीय जनगणना होने से हर जाति की देश में सही स्थिति का आंकलन हो सकेगा और इसके आधार पर इन जातियों के लिए नीति निर्माण हो सकेगा. 


जिलावार कार्यक्रम करने की तैयारी


सपा की ओबीसी विंग ये बताएगी कि जातीय जनगणना होने के बाद हर जाति की भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी, जबकि बीजेपी नहीं चाहती कि जातीय जनगणना हो. सजातीय सम्मेलनों के जरिए सपा नेता कश्यप-निषाद समाज के लोगों से मिलेंगे और ये बताएंगे कि किस तरह फूलन देवी को सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने देश की संसद तक पहुंचाया था. यही नहीं उनके मुद्दों को भी जोर-शोर से उठाया जाएगा. 


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