Lok Sabha Elections 2024: समाजवादी पार्टी इस बार लोकसभा चुनाव में नई रणनीति के साथ उतरी है. कभी मुस्लिम और यादवों को लेकर बनाए एमवाई समीकरण के लिए जानी जाने वाले सपा इस बार सोशल इंजीनियरिंग करती दिखाई दे रही है. MY फॉर्मूले के तहत सपा ने यूपी में कई बार सत्ता की चाबी हासिल की, लेकिन इस बार उनकी रणनीति में पीडीए की साफ झलक देखी जा सकती है. 


समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार चुनाव में पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों) का नारा बुलंद करते दिखाई दे रहे हैं. जिसका अंदाजा यूपी में सपा उम्मीदवारों की सूची से भी लगाया जा सकता है. कभी मुस्लिमों और यादवों को तवज्जो देने वाली सपा की लिस्ट में इस बार सभी जातियों की भागीदारी देखी जा सकती है. 


एमवाई के जाल से बाहर आए अखिलेश यादव
इस बार सपा ने एएवाई के मुकाबले मौर्य, कुर्मी, शाक्य, सैनी और कुशवाहा जैसी जातियों को भी खूब टिकट दिए हैं. यही नहीं दलितों को भी भागीदारी दी है. ताकि सभी वर्गों को सपा के साथ जोड़ा जा सके. इस बार यादव के कुनबे के पांच सदस्यों को छोड़ दें तो सपा ने किसी और यादव तो टिकट नहीं दिया है. 


सपा ने इस बार सबसे ज़्यादा दलित 17 उम्मीदवारों को टिकट दिया है. इसके बाद दूसरे नंबर पर पटेल और कुर्मी उम्मीदवारों की संख्या है. इस समाज से कुल 10 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा गया है. कुशवाहा, सैनी और शाक्य समाज से 6, यादव 5, मुस्लिम और ब्राह्मण समुदाय से 4-4, क्षत्रिय, निषाद और बिंद समाज से 3-3, जाट व अन्य बिरादरी से 2-2 उम्मीदवार और गुर्जर, राजभर, पाल, लोधी, भूमिहार और वैश्य समाज से 1-1 को टिकट दिया गया है. 


अखिलेश यादव ने इस बार मुस्लिम और यादवों की बजाय दूसरी जातियों से आने वाले नेताओं को भी तरजीह है. इसे उनके पीडीए फॉर्मूले के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने सभी समाज के लोगों को पार्टी के साथ जोड़ने की कोशिश की है. 


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