Kushinagar News: यूपी के कुशीनगर जिले के हाटा कोतवाली क्षेत्र के नाउमुंडा गांव निवासी आनंद सिंह की पत्नी नीलू 35 वर्षीय पेट दर्द की शिकायत पर इलाज कराने के लिए हाटा स्थित एक निजी हॉस्पिटल पर गई थी. जहां मौजूद झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा महिला का अबॉर्शन कर दिया गया. अत्यधिक रक्तस्राव के कारण महिला की अस्पताल पर ही मौत हो गई .यह बात महिला के पति से काफी देर तक अस्पताल के लोगों के द्वारा छुपाए रखा गया. पति को पत्नी से नहीं मिलने दे रहे थे. 


अस्पताल के कर्मचारी काफी देर बाद बहुत विनती करने पर आखिरकार अस्पताल पर मौजूद कर्मचारियों ने पति को पत्नी से मिलने दिया. पति ने जब पत्नी का शरीर छुआ तो पूरी तरह ठंडा पड़ गया था. पति के शोर मचाने पर अस्पताल प्रशासन द्वारा आनन-फानन में  एंबुलेंस बुलाकर महिला को इलाज के लिए गोरखपुर ले जाया गया. और पति आनंद को पीछे आने के लिए बोल दिया गया. पीछे से कोई डॉक्टर आया और अपने चार पहिया गाड़ी में पति को लेकर अस्पताल पहुंचा .पति को अस्पताल पहुंचने से पहले ही महिला को गोरखपुर हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. 


अस्पताल के कर्मचारियों ने कहा महिला कोमा में 
संतोषी अस्पताल के कर्मचारी वहाँ भी महिला की मौत की सूचना पति को नहीं बताई गई .बल्कि यह बोला गया कि महिला कोमा में चली गई है. उसको हॉस्पिटल पर रख कर कुछ दिनों तक इलाज करना पड़ेगा और ठीक हो जाएगी. पत्नी का शरीर सफेद होने पर पति को मौत का शक हुआ. इसी बीच महिला का शरीर सफेद पड़ने लगा पति को पूरी तरह विश्वास हो गया कि उसकी पत्नी इस दुनिया में नहीं है .काफी जोर जबरदस्ती करने के बाद आखिरकार संतोषी अस्पताल के कर्मचारियों ने महिला को मृत घोषित कर दिया और मौत का कारण अत्यधिक रक्तस्राव तथा खून की कमी बताया.


70 हजार रुपये दिए जाएंगे मृतका के पति को
पति के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल संचालक अस्पताल छोड़कर फरार हो गए. महिला के गांव के जुटे लोगों द्वारा अस्पताल पर हूं हल्ला किए जाने लगा. इसी बीच अस्पताल के कर्मचारी अस्पताल पर लगे बोर्ड तथा बैनर फार फेंक दिये और मृतका को बाहर निकाल अस्पताल में ताला मार कर फरार हो लिए. अगर सूत्र की माने तो दोनों तरफ से पंचायत में 70 हजार रुपए तय हुआ और महिला के परिजन द्वारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाएगी.काम-क्रिया करने के लिए महिला को 70 हजार रुपये दे दिया जाएगा. जिसमें मृतक के ग्राम सभा के प्रधान की विशेष भूमिका रही.


जिले में कई अवैध निजी अस्पताल संचालित
मृतका के पति ने कहा कि अबॉर्शन की कोई आवश्यकता नहीं था .फिर भी डॉक्टरों द्वारा जबरदस्ती अबॉर्शन कर दिया गया. इसे मेरी पत्नी की मौत हो गई .काफी देर तक मौत का सूचना हमें नहीं दी गई. बल्कि हमें गुमराह करके यहां से गोरखपुर तक अस्पताल के कर्मचारी दौड़ाते रहे. समझ में नहीं आता है कि मैं कैसे अपने बच्चों का परवरिश करूंगा. अगले महीने एक बच्चे का मुंडन का तिथि पड़ा हुआ है .इसी बीच मेरी पत्नी मुझे छोड़कर चली गई. जिले में अवैध रूप से निजी अस्पताल संचालित हो रहे है . 


अस्पताल में है सभी अयोग्य डॉक्टर
हाटा तहसील की बात करे तो इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध अस्पताल संचालित होते है. जिसमें भोले- भाले लोग कम पैसे की लालच में इलाज कराने पहुंच जाते हैं और झोला छाप डॉक्टरों हांथो इलाज के दौरान काल के गाल में समा जाते हैं. उसी में से एक है संतोषी हॉस्पिटल इस अस्पताल का न ही रजिस्ट्रेशन है और न ही कोई यहां योग्य डॉक्टर आता है. बल्कि इस अस्पताल को झोला छाप डॉक्टर ही चलाते हैं. 


इसके पहले भी एक बार संतोषी हॉस्पिटल में कैजुअल्टी हो चुकी है .लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा पैसे के बल पर तथा कुछ संभ्रांत व्यक्तियों की मिलीभगत से परिजनों को समझा बुझाकर मामले को दबा दिया जाता है.इस प्रकरण में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुरेश पटारिया ने बताया की उक्त प्रकरण में जांच कर विधिक कार्रवाई की जाएगी.


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