वाराणसी, एबीपी गंगा। आमतौर पर बैंक में रुपये जमा किये जाते हैं जिसके बदले में आपको ब्याज मिलता है, लेकिन एक बैंक ऐसा भी है जहां रुपया-पैसा नहीं बल्कि जमा होती है तो सिर्फ आस्था... और बदले में आपको मिलती है मन की शांति। जी हां... इस बैंक का नाम है ओम नमः शिवाय बैंक और यह स्थित है भोले की नगरी काशी यानी वाराणसी में।
ओम नमः शिवाय बैंक में लेन-देन भी होता है। कर्मचारी भी होते हैं और हिसाब-किताब भी रखा जाता है, लेकिन अंतर सिर्फ इतना है कि इसमें पैसे नहीं बल्कि ओम नमः शिवाय लिख कर जमा किया जाता है। इस बैंक में एक जन्म की जमा पूंजी को दूसरे जन्म में सूध सहित प्राप्त होने की बात कही जाती है। लिहाजा भक्त आस्था के इस बैंक में अपने हाथों से ओम नमः शिवाय लिखकर जमा करते हैं जिससे उन्हें शांति की प्राप्ति होती है और इस जन्म का पुण्य अगले जन्म तक मिलता है।
काशी में मौजूद शिवबैंक की कार्यशैली भी सामान्य बैंकों की तरह ही है। पहले भक्त यहां आते हैं और बैंक के कार्यालय में अपना खाता खुलवाते हैं। खाता खुलवाने के साथ भक्तों को पुस्तिका मिलती है जिसमें ओम नमः शिवाय लिखकर यहां जमा की जाती है। तकरीबन 18 सालों के सफर में आज इस बैंक में 136 करोड़ से भी ज्यादा ओम नमः शिवाय लिखे पत्रों को जमा किया जा चुका है। आस्था की जमा पूंजी के खाताधारक देसी और विदेशी दोनों हैं।
20 जून 2002 को बाबा के गर्भगृह से हुई थी शुरुआत इस बैंक की स्थापना 20 जून 2002 में हुई थी। तब से लेकर आज तक रोजाना ये बैंक सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुलता है। सुबह बैंक खुलने के बाद भगवान शिव की पूजा होती है और पूरे दिन यहां आस्था को जमा करने वालों का जमावड़ा होता है। इन जमा पत्रों को इस बैंक में सहेजकर रखा जाता है। मान्यता है कि इससे भक्तों पर बाबा विश्वनाथ की विशेष कृपा बरसती है।