Lok sabha Election  2024: समाजवादी पार्टी ने यूपी की कौशांबी सुरक्षित सीट से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व कैबिनेट मंत्री इंद्रजीत सरोज के बेटे पुष्पेंद्र सरोज को अपना उम्मीदवार बनाया है. पुष्पेंद्र मौजूदा लोकसभा चुनाव में संभवत देश के सबसे कम उम्र के प्रत्याशी हैं. उन्होंने पिछले महीने ही चुनाव लड़ने के लिए ज़रूरी पचीस साल की उम्र पूरी की है. पुष्पेंद्र ने लंदन की क्वीन मैरी युनिवर्सिटी से एकाउंटिंग एंड मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन किया है. कम उम्र की वजह से बच्चे जैसे नज़र आने वाले पुष्पेंद्र युवाओं की बेरोज़गारी और महंगाई के साथ ही पेपर लीक जैसे मुद्दों को फोकस करते हुए अपना प्रचार कर रहे है.



पुष्पेंद्र को देखकर अक्सर लोगों को यह यकीन ही नहीं होता कि वह लोकसभा में विपक्ष के उम्मीदवार हैं. ज़्यादातर लोग पुष्पेंद्र को उनके पिता के नाम से जानते हैं. पुष्पेंद्र का दावा है कि इस चुनाव में वह सिर्फ चेहरा भर हैं, उनका चुनाव खुद जनता लड़ रही है. उनका दावा है कि इस चुनाव में वह बीजेपी के मौजूदा सांसद विनोद सोनकर को हराकर पिछले लोकसभा चुनाव में अपने पिता की हार का बदला लेंगे. विनोद सोनकर ने पिछले चुनाव में पुष्पेंद्र के पिता इंद्रजीत सरोज को करीब अड़तीस हज़ार वोटों से हराया था.

सक्रिय राजनीति में पुष्पेंद्र का पहला कदम
 पुष्पेंद्र का सक्रिय राजनीति में यह पहला कदम है. हालांकि उनके पिता इंद्रजीत सरोज पिछले करीब तीन दशकों में कई चुनाव लड़ चुके हैं. पुष्पेंद्र पिता के चुनावों को करीब से देखते और प्रचार करते रहे हैं. उनका मानना है कि देश में बेरोज़गारी और महंगाई बड़े मुद्दे हैं. उनके जैसे तमाम युवा डिग्रियां होने के बावजूद बेरोज़गार घूम रहे हैं. पुष्पेंद्र का साफ़ कहना है कि मौजूदा दौर युवाओं का है, इसलिए विपक्षी उम्मीदवार उन्हें कतई बच्चा समझने की गलती न करें.

'राजनीति मेरा पेशा नहीं, बल्कि लोगों की सेवा'
पुष्पेंद्र का कहना है कि मौजूदा सांसद ने दस सालों के कार्यकाल में विकास के कोई काम नहीं किया. जिससे लोगों में ज़बरदस्त नाराज़गी है. पुष्पेंद्र अपने लोकसभा क्षेत्र में कुंडा विधानसभा सीट के दिग्गज नेता राजा भैया की चुनौती को भी स्वीकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि वह राजा भैया के प्रभाव वाले कुंडा क्षेत्र में भी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे. उन्हें भरोसा है कि कुंडा के वोटर भी इस बार के चुनाव में मुद्दों पर वोट डालेंगे. पुष्पेंद्र का कहना है कि राजनीति उनका पेशा नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में वह लोगों की सेवा करने के लिए आए हैं.


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