कानपुर: यूपी के कानपुर में कोरोना संक्रमित मरीजों की आंख की रोशनी जाने का पहला मामला सामने आया है. 2 मरीजों की कोरोना संक्रमण ने आंखें खराब कर दी जबकि इनकी जांच में ब्लैक फंगस की पुष्टि भी नहीं हुई थी. तमाम जांचों के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि इनकी रेटिनल आर्टरी ब्लॉक होने से रोशनी चली गई है. अब विशेषज्ञ इस पर मंथन करने पर विचार कर रहे हैं ताकि आगे आने वाले ऐसे रोगियों की आंखों को खराब होने से बचाया जा सके.


कोरोना की दूसरी लहर ने कई जानें ले ली. दूसरी लहर जब ढलान पर थी तो ब्लैक फंगस ने भी कई मरीजों को परेशान कर दिया. इस बीच कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से जो खबर सामने आई है वह चौंकाने वाली है. कोरोना संक्रमित दो मरीज ठीक होकर जब घर चले गए तो अचानक उनकी आंख की रोशनी चली गई. इलाज के लिए हैलट अस्पताल पहुंचे यह दोनों मरीज 42 और 46 साल की महिलाएं हैं. इनमें से एक महिला की एक जबकि दूसरी महिला की दोनों आंखें खराब हो चुकी हैं. ताज्जुब की बात यह है कि इन दोनों ही महिलाओं की ब्लैक फंगस की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई थी.


जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों में अब तक आए मरीजों में तीन की आंखों की रोशनी ब्लैक फंगस के चलते जा चुकी है. नेत्र रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शालिनी मोहन की मानें तो दूसरी लहर में संक्रमण से 2 मरीजों में एक की एक आंख और दूसरे मरीज के दोनों आंखों की रोशनी पूरी चली गई.


2 हफ्ते इलाज चलने के बाद दोनों की आंखों की रोशनी चली गई


संक्रमण से थ्रोम्बोसिस यानी थक्कों ने मरीजों की आर्टरी को ब्लॉक कर दिया जिसके चलते रोशनी चली गई. दोनों मरीज कानपुर के बजरिया थाना क्षेत्र में रहने वाली हैं जो कोरोना पॉजिटिव आने के बाद से हैलट में इलाज करवा रही थी. करीब 2 हफ्ते इलाज चलने के बाद दोनों की आंखों की रोशनी चली गई. 


विशेषज्ञ डॉक्टर भी ऐसे नए मामले आने से चिंतित हैं. इसीलिए अब इन दो मामलों पर वह जल्द ही विस्तृत स्टडी करने जा रहे हैं ताकि भविष्य में अगर ऐसे कैसे आते हैं तो मरीजों की आंखों की रोशनी को बचाया जा सके.


यह भी पढ़ें-


राम मंदिर मामला: साक्षी महाराज बोले- रसीद दिखाकर अपना दान वापस ले सकते हैं संजय सिंह और अखिलेश यादव