कानपुर में यूपीपीसीएल के एक कर्मचारी को डिजिटल अरेस्ट कर 70 दिनों तक साइबर अपराधियों ने घर में कैद रखा. रानीघाट निवासी उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के रिटायर्ड सुपरिटेंडेंट इंजीनियर रमेश चंद्र किडनी के पेशेंट हैं और उनका डायलिसिस होता है. इस बीच अपराधियों ने उन्हें अपना शिकार बनाया. दंपति से करीब 53 लाख रुपए की ठगी की गई. इस घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस जांच में जुट गई है. इस बीच पीड़ित रिटायर्ड रमेश चंद्र ने पूरी घटना की जानकारी दी है.

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उन्होंने बताया कि मैं पत्नी के साथ डायलिसिस करा कर आया था, करीब दोपहर का 1:30 बजे होंगे. जिस वक्त साइबर ठगों का फोन आया. 6 घंटे तक वे लोग कमरे में वीडियो कॉल के जरिए हम लोगों से पूछताछ करते रहे. हम भूखे-प्यासे उनके सभी सवालों को जवाब देते रहे. उन्होंने हमें पानी तक नहीं पीने दिया.

70 दिनों तक कमरे में रखा कैद

रमेश चंद्र ने बताया कि ठगों ने 70 दिनों तक हमें एक कमरे में डिजिटल अरेस्ट कर रखा. फ्लैट में 5 दिनों तक नौकरानी को नहीं आने दिया. दीपावली पर बेटा घर आया, तो ठगों ने नाराजगी जाहिर की. उनसे काफी मिन्नतें की, जिस पर उन्होंने बेटे को कुछ न बताने के निर्देश देते हुए घर में रहने की इजाजत दी थी.

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एबीपी न्यूज की टीम उनके फ्लैट पर पहुंची तो ठगी के शिकार रमेश की आंखों से आंसू छलक पड़े. रुंधे हुए गले से उन्होंने कहा कि मैंने जिंदगी में एक रुपए भी रिश्वत में नहीं लिए. मेरी मेहनत की कमाई वो लोग ले गए. रमेश के हाथों में बैंडेज लगे हुए थे, जिन्हें दिखाते हुए उन्होंने लड़खड़ाती जुबान से कहा कि सुबह तक मेरे खाते में सिर्फ 14 हजार रुपए थे, 3 हजार रुपए डायलिसिस में लग गए.

पीड़ित रमेश चंद्र ने क्या बताया?

पीड़ित रमेश चंद्र ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि मेरी दोनों किडनियां खराब है. सप्ताह में दो बार डायलिसिस होता है. अब तो इलाज के भी पैसे नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसे में देखते हैं कितने दिनों तक डायलिसिस हो पाता है. इस दौरान रमेश की हालत काफी खराब थी, बार–बार उन्हें वॉशरूम जाना पड़ रहा था.

लड़खड़ाते कदमों से वह पत्नी का सहारा लेते हुए बात करने के लिए आ रहे थे. उनकी पत्नी ने कहा कि आज तक हम खुद का मकान नहीं खरीद पाए. हमने सोचा था कि बेटे पढ़–लिख जाएं फिर मकान खरीदेंगे, लेकिन बदमाश मेरे पति की जीवन भर की कमाई खा गए. यह कहते हुए नीलम की आंखों से आंसू बह गए.

डर की वजह से बेटों के नाम बताने से इनकार

ठगी के बाद पति-पत्नी इतने डरे हुए हैं कि उन्होंने अपने बेटों के नाम बताने तक से मना कर दिया. बताया कि बड़ा बेटा अमेरिका से एमबीए कर रहा है, जबकि छोटा बेटा नोएडा से बीटेक कर रहा है. बड़े बेटे की पढ़ाई में हर महीने करीब 1500 डॉलर और छोटे को 15 हजार रुपए भेजती हूं. रमेश और नीलम ने पूरे 70 दिनों के डिजिटल अरेस्ट के बारे में विस्तार से अपना दर्द बयां किया.

उन्होंने बताया कि साइबर ठगों ने पहले उन्हें धमकाया कि जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल ने उनके खाते मेंं 538 करोड़ ट्रांसफर किए. जिसके बदले में 10 प्रतिशत कमीशन दिया. फिर उन्होंने मुझे और मेरी पत्नी को नजरबंद करने की बात कही. मेरे कमरे में ही हमारे सारे एसेट रखवा लिए. उन्होंने शेयर, ज्वैलरी, पीएफ फ्रीज करने की बात कही. इसके बाद उन्होंने 3 अक्टूबर को 21 लाख रुपए आरटीजीएस कराए. फिर उन्होंने 20 नवंबर को 23 लाख रुपए ट्रांसफर कराए. इस तरह से 53 लाख रुपए ठग लिए.

दंपति को इस तरह बनाया ठगी का शिकार

उन्होंने बताया कि ठगों ने पैसा लेते वक्त कहा था कि निर्दोष साबित होने पर आपका सारा नुकसान सुप्रीम कोर्ट उठाएगा. रमेश ने बताया कि इन सब के बाद ठगों ने मुझे और पत्नी को एक कमरे में नजरबंद कर दिया. कमरे में मेरे बेड के सामने कुर्सी पर मोबाइल रखा रहता था. जिस पर लगातार वीडियो कॉलिंग होती रहती थी. दूसरे कमरे में जाने तक में ठग रोक-टोक करते थे. 5 दिनों तक उन्होंने फ्लैट में नौकरानी को नहीं आने दिया. 

दंपति के मुताबिक कमरे में लगे टीवी को खोलने तक की इजाजत नहीं थी. वॉशरूम जाने, खाना बनाने के लिए जाने के लिए भी हमें उनसे इजाजत लेनी पड़ती थी. एक महीने तक हम दोनों लोग फ्लैट से बाहर नहीं निकले. एक दिन पत्नी घर में मोबाइल छोड़ कर चुपचाप घर से निकल गई, थोड़ी देर से लौटी तो उन्होंने पत्नी से पूछा कि आप बाहर क्यों गई थी? हमने मना किया तो उन्होंने कहा कि हमारे आदमी आप पर पूरी निगरानी कर रहे है.

वीडियो कॉल के जरिए करते थे निगरानी

नीलम ने बताया कि हम जब बैंक से पैसे निकालने जाते थे तो साइबर ठग एक मोबाइल से वीडियो कॉल के जरिए निगरानी करते थे, वहीं दूसरे मोबाइल पर व्हाट्सएप चैट करते रहते थे. बाहर जाने पर उन्हें बताना पड़ता था, कि हम दोनों ने किस रंग के कपड़े पहने हुए हैं और किस आदमी से मिलने जा रहे है.

उन्होंने कहा कि यूएस में रहने वाले एक क्लासमेट की बेटी की शादी में जाने के लिए हमें ठगों से इजाजत लेनी पड़ी थी. उन्होंने शादी में किसी से भी बात न करने की सख्त हिदायत दी थी. शादी समारोह में भी हम दोनों लोग वीडियो कॉल के जरिए उनकी निगरानी में ही रहे थे. 

ठगों ने किसी को न बताने की दी थी धमकी

उन्होंने कहा कि 70 दिनों तक हम किसी को कुछ इसलिए नहीं बता सके, क्योंकि ठगों ने कहा था कि तुम्हारे दोनों बेटों की हमारे आदमी निगरानी कर रहे है. अगर कुछ भी बताया कि बेटों की जिंदगी बर्बाद कर देंगे, बेटे को अमेरिका से डिपोर्ट कर दिया जाएगा.

उन्होंने हमें धमकाया था कि नरेश गोयल के बारे में पूछताछ के लिए हमने एक दंपत्ति को बुलाया था, जिनको नरेश के आदमियों ने मार डाला. आप पूछताछ पूरी होने तक घर से बाहर न निकले, इसलिए हमारी अल्फा टीम आपकी निगरानी कर रहे हैं. नीलम ने बेटों के साथ कोई अनहोनी न हो जाए, इस डर से हमने किसी से कुछ नहीं कहा. 

खुद को सर्विलांस अधिकारी बताते थे ठग

उन्होंने बताया कि वीडियो कॉल में हमें कोई भी व्यक्ति दिखाई नहीं देता था. कुछ लोगों से मेरी बात हुई थी, जिन्होंने खुद को सर्विलांस ऑफिसर बताते हुए अपना नाम संतोष, ए अनंताराम, उमेश मच्छंदर बताया था. वह हम पर 24 घंटे निगरानी रखते थे. सब फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते थे.

नीलम ने बताया कि सीबीआई अफसर बताने वाला युवक रौबीला लगता था, उसने सुप्रीम कोर्ट की हियरिंग भी वीडियो कॉल के जरिए कराई, जिसमें सफेद शर्ट पहने हुए युवक अंग्रेजी में पूरी सुनवाई करता था. हियरिंग के दौरान पूरा सेटअप कोर्ट जैसा ही नजर आता था.