Kanpur Crime News: पुलिस का इकबाल मानों कानपुर शहर में खत्म होता दिखाई दे रहा है. अपराधी वारदातों को अंजाम देते जा रहे हैं और पुलिस महज तमाशबीन बनी है खुद को हाईटेक और एक्टिव पुलिस कहने वाली कानपुर पुलिस अपराधियों के आगे बौना साबित हो गई है. पुलिस की नाक के नीचे जानलेवा हमला पुलिस की कार्यशैली और अपराधियों में पुलिस के खौफ को कम होता दिखा रही है. कानपुर की नवीन मार्केट में तीन युवकों ने सरेराह चप्पल व्यापारी को दुकान के बाहर चाकुओं से गोद दिया और फरार हो गए और चंद कदमों पर बनी पुलिस चौकी के पुलिस वाले जागते रहो के नारे के साथ सोते रहे.


 खून से लथपथ सड़क और अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे  व्यापारी की हालत को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर में राम राज होने की बात और कानून का राज कायम करने के दावे करने वाली पुलिस अपने घिसे पिटे बयानों  को देती हुई दिखाई दे रही है. दरअसल कानपुर की नवीन मार्केट शहर की सबसे बड़ी रिहायशी बाजार है. जहां शहर का वीआईपी कस्टमर आता है. लेकिन तकरीबन 10 बजे रात में व्यापारी राजू जो चप्पल का कारोबार इसी मार्केट में करता है. जिसने कुछ समय पहले एक ऐसे शख्स को अपनी दुकान पर काम के लिए रखा था .जो आपराधिक मानसिकता का थाय लेकिन व्यापारी इस बात से अनजान था.


बदमाशों ने व्यापारी पर किया जानलेवा हमला
 पुलिस के मुताबिक व्यापारी ने कुछ दिन पहले काम करने वाले नौकर को किसी बात पर डाटा थाय जिससे नाराज नौकर ने अपने तीन साथियों संग मिलकर अपने मालिक राजू पर देर रात चाकुओं से हमला कर दिया और ताबड़तोड़ पेट पर गर्दन पर चाकू से कई वारों ने व्यापारी राजू को मर्णासन हालत में पहुंचा दिया.वहीं अपराधियों के हौसले  इतने बुलंद है की  बीच बाजार सबके सामने घटना को अंजाम देते रहे. जब व्यापारियों ने इस बात पर हंगामा काटा तो बदमाश भाग निकले और  और बाजार के व्यापारियों ने घायल व्यापारी को अस्पताल पहुंचकर पुलिस को सूचना दी.


बदमाशों को पकड़ने के लिए पुलिस की टीम गठित
 मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी लाखन सिंह एडीसीपी सेंट्रल ने बताया की वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों की तलाश की जा रही है. इसके लिए पुलिस की टीम भी बना दी गई है. जल्द ही बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. वहीं घायल को उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल भेज दिया गया है. जहां उसका उपचार किया जा रहा है . लेकिन सवाल यह है कि आखिर इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने वालों में पुलिस का खौफ क्यों नहीं है. आखिर पुलिस अपराध पर अंकुश लगाने में क्यों नाकाम साबित हो रही है.


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