Kanpur Metro News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी आदित्यनाथ सरकार विधानसभा चुनाव में जाने से पहले कानपुर मेट्रो (Kanpur Metro) की शुरुआत कर सूबे में विकास का एक बड़ा संदेश देना चाहती है. लेकिन नगर निगम और कानपुर मेडिकल कॉलेज ने उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन प्रबंधन पर मनमानी के आरोप मढ़ दिए हैं. आगामी 19 नवंबर को मेट्रो (Metro) का ट्रायल रन तय है लेकिन लगातार कानपुर मेट्रो पर लग रहे आरोपों के चलते योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के ट्रायल रन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.


एक तरफ कानपुर महानगर में मेट्रो ट्रेन का पहिया घूमने को तैयार है तो वहीं दूसरी तरफ कानपुर नगर निगम और गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के लगातार लग रहे आरोप कानपुर मेट्रो की रफ्तार को धीमा करते दिख रहे हैं. पहले कानपुर मेडिकल कॉलेज की बात करते हैं... यहां के प्रिंसिपल डॉ संजय काला की मानें तो कानपुर मेट्रो के अधिकारियों ने मेडिकल कॉलेज की ढाई एकड़ से ज्यादा की जमीन अधिग्रहित की. विकास कार्यों के लिए मेडिकल कॉलेज की जमीन दे दी गई लेकिन जो वादा मेडिकल कॉलेज से मेट्रो ने किया था उसे पूरा नहीं किया गया. मेडिकल कॉलेज ने इसके एवज में करीब 100 करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा है. इसके साथ ही जो गेट्स मेडिकल कॉलेज के मेट्रो ने निर्माण के दौरान तोड़े हैं उनका निर्माण कराने की बात भी कही है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने मुख्य सचिव से मेट्रो अधिकारियों की मनमानी की लिखित शिकायतें भी की है और अब जब उनके बंगले पर भी मेट्रो का हथोड़ा चला है तो वह अपने आप को मेट्रो द्वारा ठगा हुआ बता रहै हैं.


योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट लटक सकता है


मेडिकल कॉलेज और नगर निगम की मेट्रो के निर्माण में की जा रही आपत्तियों के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट भी लटक सकता है. मेट्रो ने जलकल कॉलोनी में वर्षों से अवैध रूप से रह रहे लोगों के मकान, मेट्रो निर्माण के चलते तोड़े और फिर उन्हें दोबारा  बनाने लगा. लेकिन इसी बीच खुद मेयर प्रमिला पांडेय मौके पर पहुंची और इसे अवैध बताकर तोड़ दिया. साथ ही महापौर प्रमिला पांडे ने मेट्रो पर मनमानी का सीधा आरोप भी लगाया. 


हालांकि यूपीएमआरसी ने नगर निगम और मेडिकल कॉलेज प्रशासन के इन दावों का खंडन किया है. UPMRC द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि हाल ही में नगर निगम द्वारा उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लि. (यूपीएमआरसी) पर आईआईटी से मोतीझील के बीच निर्माणाधीन प्रयॉरिटी कॉरिडोर पर नगर निगम की विभिन्न परिसंपत्तियों, जिनमें सड़क चौड़ीकरण के भूखंड, लाइटें एवं अन्य परिसंपत्तियां शामिल हैं, के सापेक्ष 106 करोड़ की मांग की गई है. यह आंकड़ा, वास्तविक नहीं है बल्कि इसे बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है. यह आंकड़ा आधारहीन है क्योंकि यूपीएमआरसी द्वारा नगर निगम की जिन भी परिसंपत्तियों को स्थाई या अस्थाई रूप से उपयोग में लाया गया या उसका अधिग्रहण किया गया, उनके बदले निर्धारित प्रभार इससे काफ़ी कम हैं और नियमानुसार निर्धारित हर प्रभाव के भुगतान के लिए यूपीएमआरसी तैयार है.


इसके अलावा मेट्रो निर्माण के दौरान नगर निगम की जिन परिसंपत्तियों को यूपीएमआरसी द्वारा क्षतिग्रस्त किया गया, उन्हें या तो पुनः निर्मित करा दिया गया या फिर उसके सापेक्ष नगर निगम को विधिवत भुगतान पहले ही कर दिया गया है. वर्तमान में नगर निगम के साथ यूपीएमआरसी संयुक्त रूप से सर्वेक्षण करा रहा है और इसके बाद देनदारी का निर्धारण सरकारी नीतियों के अनुरूप होगा.


साथ ही, नगर निगम द्वारा यह आरोप भी लगाया गया है कि यूपीएमआरसी ने बेनाझाबर के पास जिन मकानों को इरेक्शन हेतु क्षतिग्रस्त किया था, उनका पुनः निर्माण बिना नींव तैयार किए किया जा रहा है. यह आरोप आधारहीन है क्योंकि यूपीएमआरसी द्वारा नींव को क्षतिग्रस्त नहीं किया गया था. इस संदर्भ में यह भी अवगत कराना है कि यूपीएमआरसी अपनी स्थापित नीति के तहत अपने काम के लिए जिस भी संपत्ति को क्षतिग्रस्त करता है और उसको पुनः पहले से बेहतर स्थिति में बनाकर देने के लिए प्रतिबद्ध है और ऐसा ही बेनाझाबर के पास भी किया जा रहा था. उक्त स्थान पर जो मकान बने थे, उनके वैध-अवैध का निर्धारण यूपीएमआरसी के अधिकार क्षेत्र में नहीं है.


कानपुर मेट्रो का ट्रायल रन संकट में पड़ सकता है


UPMRC द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि, गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य संजय काला द्वारा लगाए गए आरोपों का भी यूपीएमआरसी खंडन करता है. मेडिकल कॉलेज परिसर में मेट्रो ढांचे का कुछ हिस्सा आ रहा है और उसके निर्माण के लिए सिर्फ़ मेडिकल कॉलेज की बाउंड्री को तोड़ा गया था, जिसे दोबारा बनाकर दिया जा रहा है. इस संबंध में संजय काला द्वारा यूपीएमआरसी पर अंडरपास और स्पोर्ट्स कॉम्पलैक्स बनाने की अतिरिक्त मांग की गई है, जबकि मेडिकल कॉलेज प्रशासन के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ था.


साफ है कि अगर ऐसे ही नगर निगम, मेडिकल कॉलेज और UPMRC एक दूसरे पर आरोप लगाते रहेंगे तो कानपुर मेट्रो का ट्रायल रन संकट में पड़ सकता है.


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