इस्लाम धर्म को छोड़कर सनातन धर्म अपना चुके वसीम रिजवी एक बार फिर चर्चाओं में हैं. अपनी विवादित टिप्पणियों की वजह से लगातार मुस्लिम संगठनों के निशाने पर रहने वाले वसीम ने अपना नाम बदलकर जितेंद्र नारायण सिंह रख लिया है. उनके धर्म परिवर्तन करने के साथ ही लोगों में उनके बारे में और अधिक जानने की उत्सुकता बढ़ गई है. आइए जानते हैं उनके बारे में. 


रेलवे कर्मचारी थे पिता
वसीम रिजवी के पिता रेलवे कर्मचारी थे और जब वसीम छठी कक्षा में थे तब ही उनके पिता इस दुनिया को अलविदा कह गए. उन्होंने 12वीं क्लास तक पढ़ाई की, जिसके लिए उन्हें नैनीताल जाना पड़ा. यहीं से उन्होंने इंटर तक की पढ़ाई की. इसके बाद नौकरी के लिए वे सऊदी अरब चले गए, जहां उन्होंने एक होटल में काम करके अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाई. वसीम भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं.


सऊदी अरब, जापान और अमेरिका में की नौकरी
सऊदी अरब के बाद वसीम रिजवी जापान चले गए. वहां कुछ समय नौकरी की. इसके बाद वे अमेरिका गए जहां उन्होंने एक स्टोर में काम किया. यहां कुछ वक्त तक नौकरी करने के बाद वसीम लखनऊ वापस आ गए और राजनीति में कदम रखा. 


निगम चुनाव से वक्फ बोर्ड चेयरमैन का तय किया सफर
निगम चुनाव लड़ने के साथ राजनीति में आए वसीम रिजवी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में मेंबर बन गए और फिर शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन की कुर्सी तक पहुंचे. इस दौरान कई विवादों में घिरे रहे. इस्लाम धर्म विरोधी टिप्पणियों के चलते वे हमेशा से ही मुस्लिम संगठनों के निशाने पर रहे. 


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