लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ और नोएडा में कमिश्नरेट लागू कर एक दर्जन से ज्यादा आईपीएस अफसरों को तैनात किया. उद्देश्य था बेहतर पुलिसिंग, अपराधियों पर नियंत्रण और जनता को सुरक्षा. लेकिन आईपीएस अफसरों का भारी-भरकम अमला भी हालात नहीं सुधार पा रहा. वाराणसी हो या गाजीपुर या फिर गाजियाबाद एक आईपीएस अफसरों की अगुवाई वाले जिलों में अपराधियों पर कार्रवाई और पुलिसिंग लखनऊ कमिश्नरेट से ज्यादा बेहतर नजर आ रही है.


राजधानी लखनऊ में कमिश्नरेट लागू है
दीपावली के ठीक दूसरे दिन वाराणसी में व्यापारी को पिस्तौल लगाकर 50 लाख की वसूली करने वाला राकेश सोनी उर्फ किट्टू ढेर कर दिया गया. आजमगढ़ में ग्राम प्रधान की हत्या का आरोपी भी मार गिराया गया, लेकिन जिस राजधानी लखनऊ में कमिश्नरेट लागू है, एडीजी स्तर के अफसर को कमान सौंपी गई है, आईजी रैंक के अधिकारी को अपराध नियंत्रण के लिए जेसीपी क्राइम बनाया गया है और हर इलाके की कमान एसपी स्तर के आईपीएस अफसरों को दी गई है, उसी लखनऊ कमिश्नरेट में खौफनाक वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों का पता नहीं लगाया जा सका है.


तैनात की गई है 14 आईपीएस अफसरों की पूरी बटालियन
14 आईपीएस अफसरों की पूरी बटालियन तैनात कर दी गई लेकिन धनतेरस से 1 दिन पहले यानी 11 नवंबर को उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े सर्राफा कारोबारी में से एक बद्री सर्राफ के मालिक को घर जाते समय गोली मार दी गई.


सर्राफा कारोबारी पर हुए हमले के आरोपी अब तक नहीं हुए गिरफ्तार
विकासनगर की रिंग रोड बद्री सर्राफ शोरूम के मालिक अभिषेक केसरवानी 11 नवंबर की शाम पत्नी के साथ कार से घर जा रहे थे कि तभी कार सवार बदमाशों ने सुधीर को गोली मार दी. गोली कंधे में लगी तेजी से कार चलाते हुए सुधीर ने अपनी जान बचा ली लेकिन बदमाश फरार हो गए. घटना के बाद से हड़कंप मच गया. अफसरों की कुर्सी खतरे में आ गई तो अगली ही सुबह पिता सुधीर केसरवानी के तरफ से नामजद किए गए मोहनलालगंज के भूमाफिया अष्टभुजा पाठक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.


जमीन को लेकर पुरानी रंजिश का है मामला
अष्टभुजा पाठक की अभिषेक केशरवानी से मोहनलालगंज की जमीन को लेकर पुरानी रंजिश है, मुकदमे बाजी चल रही है. अफसरों ने भी अष्टभुजा पाठक को जेल भेज कर अपनी कुर्सी बचा ली. लेकिन घटना के 15 दिन बाद भी पुलिस उन शूटरों का पता नहीं लगा सकी जिन्होंने सरे शाम राजधानी की सड़क पर इस वारदात को अंजाम दिया.


जेसीपी क्राइम ने कहा- सबकी सुरक्षा कर पाना मुमकिन नहीं
ऐसी घटनाओं पर लखनऊ कमिश्नरेट में अपराध नियंत्रण की जिम्मेदारी उठाने वाले सबसे बड़े साहब जेसीपी क्राइम नीलाब्जा चौधरी कह रहे हैं कि इतने बड़े शहर में कम पुलिस फोर्स के साथ सबकी सुरक्षा कर पाना मुमकिन नहीं है.


 14 आईपीएस अफसरों की तैनाती वाले लखनऊ कमिश्नरेट में यूपी के सबसे बड़े सर्राफा कारोबारियों में एक पर हमले की यह घटना वाराणसी गाजीपुर आजमगढ़ में हुई घटनाओं से ज्यादा सनसनीखेज है. साथ ही एक बड़ा सवाल भी है कि आखिर कमिश्नरेट में अफसरों की फौज कर क्या रही है. कहीं आईपीएस अफसरों की इतनी ज्यादा तैनाती कमिश्नरी व्यवस्था को ध्वस्त तो नहीं कर रही.


लखनऊ: जमीनी विवाद को लेकर दो पक्षों में खूनी संघर्ष, चली ताबड़तोड़ गोलियां


किसान आंदोलन के समर्थन में पश्चिमी यूपी के किसानों ने कई जगह किया प्रदर्शन, चक्का जाम