प्रयागराज. गाज़ियाबाद में लाखों रुपये की हेराफेरी करने के आरोप में जेल भेजी गईं महिला पुलिस इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह चौहान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अदालत ने लक्ष्मी चौहान की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए उन्हें जेल से रिहा किये जाने का आदेश दिया है. इस मामले में इंस्पेक्टर लक्ष्मी के साथ आरोपी बनाए गए तीन अन्य पुलिस कर्मियों को भी जमानत मिल गई है. लक्ष्मी चौहान व दूसरे पुलिस कर्मियों को पुलिस जांच में हुई चूक का फायदा मिला है. पुलिस जांच में इंस्पेक्टर के घर से बरामद हुए रूपयों की रिकवरी का मेमो तैयार करने में कुछ लापरवाही बरती गई थी. बरामदगी की जगह का सही पता नहीं लिखा गया था. आरोपी के दस्तखत नहीं कराए गए थे और साथ ही कागजात ठीक से तैयार नहीं किये गए थे.


मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने लक्ष्मी सिंह चौहान के पुराने कैरियर रिकार्ड और उन्हें एक बार आउट आफ प्रमोशन मिलने को भी जमानत देने का आधार बनाया. इसके साथ ही कोरोना की महामारी के खतरे के मद्देनज़र जेलों से भीड़ हटाने का भी लक्ष्मी सिंह चौहान को फायदा मिला. इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह चौहान ने पिछले साल एक नवम्बर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद सात नवम्बर को मेरठ की स्पेशल एंटी करप्शन कोर्ट में सरेंडर किया था. वह तकरीबन आठ महीने से जेल में बंद हैं. अदालत में लक्ष्मी सिंह चौहान का पक्ष उनके वकील मनीष तिवारी और सुनील वशिष्ठ ने रखा.


ये था पूरा मामला


गौरतलब है कि गाज़ियाबाद के लिंक रोड थाने की इंचार्ज रही इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह चौहान ने एटीएम में कैश डालने वाली कंपनी से करोड़ों की रकम चोरी किये जाने के मामले का खुलासा किया था. उन्होंने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके पास से बड़ी रकम बरामद की थी, लेकिन सरकारी लिखापढ़ी में तकरीबन सत्तर लाख रूपये कम दिखाए थे. आरोप है कि इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह व थाने के छह सिपाहियों ने यह रकम आपस में बांट ली थी. इस मामले में गाज़ियाबाद के एसपी सिटी श्लोक कुमार ने जांच की थी और इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह के घर पर छापेमारी कर कुछ रकम भी बरामद की थी.


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