Bareilly Ki Ramleela: विश्व धरोहर (World Heritage) घोषित हो चुकी होली पर होने वाली 'बरेली की रामलीला' (Ramleela) की शुरुआत हो चुकी है. बरेली के ब्रह्मपुरी इलाके में रामलीला का मंचन आजादी के पहले से हो रहा है. इस साल रामलीला की 163वीं वर्षगांठ है. इस रामलीला में अयोध्या (Ayodhya) से आए कलाकार मंचन करते है. तुलसीदास (Tulsidas) की रामचरितमानस (Ramchartimanas) पर आधारित रामलीला को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते है.


यूनेस्को ने 2015 में 'बरेली की रामलीला' को विश्व धरोहर घोषित किया था. 1861 से लगातार चली आ रही इस रामलीला की खासियत ये है कि इसका मंचन बरेली के अलग अलग मोहल्लों में होता है. अगस्त्य मुनि से संबंधित लीला का मंचन छोटी बमनपुरी स्थित अगस्त्य मुनि आश्रम में, राम-केवट संवाद साहूकारा में, मेघनाद यज्ञ बमनपुरी में और लंका दहन मलूकपुर चौराहा पर होता है. रामलीला शुरू हुए अभी दो दिन ही हुए हैं. पहले दिन प्रभु श्रीराम का जन्म और अगले दिन मटके से सीता मां का जन्म दिखाया गया. इस दौरान फूलों की होली भी खेली गई. इस रामलीला की खासियत इसकी राम बारात होती है. होली पर निकलने वाली राम बारात देखने के लिए विदेश से भी लोग आते हैं. 


जानें, क्या है राम बारात की खासियत?
राम बारात में बड़े बड़े पंपों से मोर्चेबंदी होती है. लोग एक दूसरे पर रंग डालते हैं. राम बारात में पानी की कमी न पड़े उसके लिए नगर निगम के पानी टैंक और फायर ब्रिगेड साथ-साथ चलते हैं. कोतवाली पहुंचने पर डीएम और एसएसपी बारात का स्वागत करते हैं. बताया जाता है कि तुलसीदास की विनय पत्रिका में फाल्गुन रामलीला का वर्णन है. जब इस रामलीला की शुरुआत हुई थी तब मनोरंजन का कोई साधन नहीं था. तब छोटे-छोटे बच्चे रामलीला किया करते थे. धीरे-धीरे इसे भव्य रूप दे दिया गया और आज इस रामलीला की चर्चा पूरे विश्व में है. 


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