Uttarakhand News: उत्तराखंड के वन मंत्री की अध्यक्षता में वन मुख्यालय स्थित "मीडिया कॉन्फ्रेंस कक्ष" में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में वन संरक्षक, वन विभाग के अधिकारी, परियोजना निदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी ऑनलाइन एवं भौतिक रूप से उपस्थित रहे. बैठक का मुख्य उद्देश्य वन संरक्षण और प्रबंधन से जुड़े विभिन्न पहलुओं की समीक्षा करना था.

बैठक में प्रमुख वन संरक्षक (HoFF) धनंजय मोहन ने बताया कि वर्तमान वनारोपण सत्र में, उत्तराखंड को देशभर में 19वां स्थान प्राप्त हुआ है. यह आंकड़ा भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार है. पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष वनारोपण की घटनाओं में महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई है, जिससे राज्य सरकार की वन संरक्षण नीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता महसूस की गई.

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इस स्थिति को सुधारने के लिए वन अधिकारियों को अधिक सतर्कता और सक्रियता से कार्य करने के निर्देश दिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार वन प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है.

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने अधिकारियों को वन क्षेत्र में वृक्षारोपण बढ़ाने और पेड़ों की अवैध कटाई रोकने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए. बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:

वन क्षेत्रों में चीड़ के पेड़ों की संख्या नियंत्रित करने और मिश्रित वन विकसित करने के लिए सरकार प्रचार अभियान चलाएगी. इसके लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया का उपयोग किया जाएगा.

चीड़ वन क्षेत्रों में नमी बनाए रखने और हरियाली बढ़ाने के लिए जल संचयन केंद्रों की स्थापना की जाएगी. वन सुरक्षा उपकरणों और संसाधनों की व्यवस्था की जाएगी, जिससे जंगलों में आग की घटनाओं को रोका जा सके आग बुझाने के लिए ‘फायर वॉचर्स’ की तैनाती की जाएगी और इन्हें आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा ग्राम पंचायत स्तर पर वन प्रबंधन समितियों का गठन किया जाएगा, ताकि स्थानीय लोगों को वन संरक्षण अभियान में शामिल किया जा सके. इसके अलावा, समितियों को प्रोत्साहन देने की व्यवस्था भी की जाएगी. वन प्रबंधन गतिविधियों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा और वन मुख्यालय में एक मीडिया प्रभारी नियुक्त किया जाएगा, जो सभी गतिविधियों की जानकारी जनता तक पहुंचाएगा.

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वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बैठक के दौरान कहा कि स्थानीय लोगों की भागीदारी के बिना वन संरक्षण संभव नहीं है. इसलिए, ग्राम पंचायत स्तर पर वन प्रबंधन समितियां बनाकर लोगों को जागरूक किया जाएगा. इससे न केवल वन क्षेत्र का विस्तार होगा, बल्कि लोगों को वन संरक्षण से आर्थिक लाभ भी मिलेगा.

वन अधिकारियों को वन संसाधनों के सतत उपयोग के लिए स्थानीय समुदायों को शामिल करने के निर्देश दिए गए. इसके लिए प्रोत्साहन योजनाएं लागू की जाएंगी, जिससे लोग जंगलों की रक्षा के लिए और अधिक प्रेरित हो सकें.

बैठक में निर्णय लिया गया कि वन संरक्षण के लिए आधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल किया जाएगा. वन विभाग उद्योग विभाग से तालमेल बिठाकर वनों के सतत विकास की योजना बनाएगा.

इसके अतिरिक्त, वन सुरक्षा उपायों को मजबूत करने के लिए सभी वन चेकपोस्ट और स्टेशनों पर सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे. इससे वनों में होने वाली अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकेगा.

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि वन संरक्षण एवं प्रबंधन के तहत दीर्घकालिक योजनाएं लागू की जाएंगी. इसके तहत:

जंगलों की आग से सुरक्षा के लिए एडवांस वॉर्निंग सिस्टम विकसित किया जाएगा.

वन विभाग की गतिविधियों को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाएगा.

वन कर्मियों को अत्याधुनिक उपकरण और प्रशिक्षण दिया जाएगा.

उत्तराखंड सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वन संरक्षण उसकी प्राथमिकता में शामिल है. आने वाले समय में, वन विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार किया जाएगा और नई योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा.

वन मंत्री ने सभी अधिकारियों को वन संरक्षण में सक्रियता बढ़ाने और जिम्मेदारीपूर्वक कार्य करने के निर्देश दिए. इसके साथ ही, जनता से भी अपील की गई कि वे जंगलों को बचाने में अपना योगदान दें.

उत्तराखंड का वन क्षेत्र न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक है, बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसलिए, वनों का संरक्षण और संवर्धन ही राज्य के उज्जवल भविष्य की कुंजी है.