Hapur Crime News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जनपद हापुड़ (Hapur) के पिलखुवा कोतवाली पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुलिस ने यहां परतापुर के जंगल में अवैध रूप से अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है. यही नहीं पुलिस ने मौके से अवैध हथियार बनाते दो आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है. इनके नाम साकिब और इकबाल हैं. ये दोनों ही ऑन डिमांड हथियारों को बनाकर उनकी सप्लाई अपराधियों को किया करते थे.


इनके पास से पुलिस ने 17 अवैध तमंचे, 24 अधबने तमंचे और चार कारतूस समेत एक बाइक भी बरामद की है. साथ ही पुलिस ने इनके पास से अवैध शस्त्र बनाने के उपकरण भी बरामद किए हैं. कोतवाली पुलिस को मुखबिर द्वारा सूचना प्राप्त हुई जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए परतापुर के जंगल में छापेमारी की. पकड़े गए दोनों ही आरोपी ऑन डिमांड अवैध तमंचे बनाकर 6 हजार से 7 हजार रुपये की कीमत में अपराधियों को और आसपास के जनपदों में बेच दिया करते थे. वहीं गिरफ्तार आरोपी शाकिब एक शातिर किस्म का अपराधी है. इसके खिलाफ जनपद गाजियाबाद और हापुड़ में चोरी आर्म्स एक्ट और गैंगस्टर एक्ट में करीब आधा दर्जन मामले पहले से ही दर्ज हैं.


पुलिस कर रही पूछताछ
इसका दूसरा साथी इकबाल मूल रूप से थाना बिनौली जनपद बागपत का रहने वाला है. यह भी अवैध हथियार बनाने और बेचने के काम में पिछले काफी समय से लगा हुआ था. साथ ही आशंका ये भी जताई जा रही है कि इन अवैध हथियारों का इस्तेमाल होने वाले नगर निकाय चुनाव में भी किया जा सकता है. गिरफ्तारी के बाद पुलिस अब इन दोनों ही आरोपियों से पूछताछ कर रही है. पूछताछ में जो और नाम सामने आएंगे उनको भी गिरफ्तार किया जएगा.


एएसपी हापुड़ मुकेश चंद मिश्र ने जानकारी देते हुए बताया कि थाना पिलखुवा की टीम ने इस टीम ने अवैध हथियार बनाने वाली एक फैक्ट्री का पर्दाफाश किया है. इसका टीम का नेतृत्व प्रभारी निरीक्षक विनोद पांडेय कर रहे थें. इस  मामले में दो आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया है. मौके से 17 तमंचे और 24 अर्धनिर्मित तमंचे और एक बाइक बरामद की है. इतना ही नहीं यहां से भारी मात्रा में हथियार बनाने का सामान भी बरामद हुआ है. इन आरोपियों में से एक का पहले का भारी आपराधिक इतिहास है. डिमांड के आधार पर ये लोग हथियार 6 से 7 हजार रुपये में बेचते थे. ये लोग इसकी सप्लाई गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, हापुड़ और आसपास के जनपदों में भी करते थे. ये फैक्ट्री परतापुर के जंगल में चल रही थी.


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