Ayodhya News: ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वे (Gyanvapi Masjid ASI Survey) में मूर्ति, त्रिशूल और कलश मिलने का दावा किया गया है. दीवार पर कमल की कलाकृतियों के पाए जाने की भी बात सामने आई है. एएसआई सर्वे की फाइनल रिपोर्ट आने से पहले ज्ञानवापी मस्जिद मामले में बयानबाजी तेज हो गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद अब साधु-संतों का बयान सामने आया है. अयोध्या के साधु-संतों ने मिल रहे सबूतों के आधार पर ज्ञानवापी मस्जिद को अभी से मंदिर बताना शुरू कर दिया है.


ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में एएसआई को क्या मिला?


राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का कहना है कि त्रिशूल भगवान शंकर का प्रतीक है. उन्होंने दावा किया कि मूर्ति और कमल मंदिर में पाए जाते हैं. तहखाने में घंटे मिलने से साबित होता है कि ज्ञानवापी मस्जिद नहीं मंदिर है. इसलिए ज्ञानवापी को मस्जिद नहीं कहा जाना चाहिए. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान का समर्थन किया. सत्येंद्र दास ने ज्ञानवापी मस्जिद में हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार मिलने की वकालत की. उन्होंने कहा कि कोर्ट को चाहिए कि सबूत के आधार पर ज्ञानवापी को मंदिर घोषित करे.


रिपोर्ट आने से पहले अयोध्या के साधु-संतों का बयान


तपस्वी छावनी के जगतगुरु परमहंस आचार्य के मुताबिक इस्लाम में बुत परस्ती हराम है. ज्ञानवापी मस्जित परिसर में एएसआई सर्वे के दौरान मिले त्रिशूल, मूर्ति और स्वास्तिक मंदिर का पुख्ता प्रमाण हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी मस्जिद में त्रिशूल, मूर्ति नहीं होती है. इस्लाम में मूर्ति पूजा हराम है. इसलिए ज्ञानवापी भगवान विश्वनाथ का मंदिर है. उसको मस्जिद नहीं कहा जा सकता है. एएसआई सर्वे में मिले साक्ष्यों से सारी भ्रांतियां दूर हो गई हैं. पुख्ता प्रमाण मिलने के बाद जल्द से जल्द भगवान विश्वनाथ का दर्शन पूजन और अभिषेक की अनुमति मिलनी चाहिए. परमहंस आचार्य ने कहा कि हिंदू हमेशा राष्ट्रवादी, संवैधानिक और मानवतावादी रहा है. अब देर होने पर कल्पना से परे बड़ा आंदोलन खड़ा हो जाएगा. 100 करोड़ लोग आंदोलन में शामिल होंगे. इसलिए भगवान विश्वेश्वर की पूजन और दर्शन की जल्द अनुमति दी जाए.  


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