उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में भारतीय निर्वाचन आयोग के विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण (एसआईआर) कार्यक्रम में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया. एसआईआर कार्य में ढिलाई को गंभीर मानते हुए डीएम मेधा रूपम ने कुल 67 कर्मचारियों पर केस दर्ज करने के आदेश दिए.
इसमें 60 बीएलओ और 7 सुपरवाइजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश जारी किए. आदेशों के बाद दादरी, जेवर और ईकोटेक-1 कोतवाली में मुकदमे दर्ज कराए गए. इस कार्रवाई से प्रशासनिक तंत्र में हड़कंप मच गया है.
डीएम ने दिए कड़े निर्देश
डीएम मेधा रूपम ने स्पष्ट किया कि निर्वाचन कार्य अत्यंत संवेदनशील और समयबद्ध दायित्व है. ऐसे में किसी भी स्तर की लापरवाही चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है. इसलिए दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अनिवार्य है.
इसी बीच नोएडा की एक अध्यापिका पिंकी सिंह, जो बीएलओ के पद पर तैनात थीं, उनके त्यागपत्र का मामला भी चर्चा में रहा. सोशल मीडिया पर उनका इस्तीफा वायरल हुआ था. इस पर बेसिक शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया कि पिंकी सिंह ने विभाग को कोई आधिकारिक त्यागपत्र नहीं दिया है और न ही त्यागपत्र से जुड़ी कोई सूचना प्रदान की है. विभाग ने वायरल लेटर पर बताया है कि अध्यापिका अपना लगातार कार्य कर रही है.
इन इलाकों में हुई कार्रवाई
इस दौरान कार्रवाई हुई है कि ईकोटेक-1 कोतवाली 31 बीएलओ और 1 सुपरवाइजर के खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 32 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ. दादरी कोतवाली के उप-डीएम के निर्देश पर 11 बीएलओ और 6 सुपरवाइजर पर एफआईआर दर्ज हुई. जेवर कोतवाली में 17 बीएलओ के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. सभी पर एसआईआर में लापरवाही का आरोप है.
डीएम मेधा रूपम की इस कार्रवाई के बाद एसआईआर कार्य में लगे अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों में चिंता बढ़ गई है. प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि आगे भी अगर किसी स्तर पर लापरवाही पाई गई, तो कठोर दंडात्मक कार्रवाई जारी रहेगी.
अधिकारियों ने यह भी कहा कि निर्वाचन प्रक्रिया की शुचिता बनाए रखना सरकार और समाज दोनों की प्राथमिकता है, और इसके लिए समय पर पारदर्शी और सही तरीके से कार्य अनिवार्य है.