पिथौरागढ़: उत्तराखंड का पिथौरागढ़ जिला पिछले कई दिनों से भारी बारिश के चलते आपदाग्रस्त है. पिथौरागढ़ जिले के मुंसियारी तहसील का धापा गांव पूरी तरीके से आपदा प्रभावित है. यहां पर पूरे गांव ने एक स्कूल में आश्रय ले रखा है. पिथौरागढ़ के टांगा, मोरी, धापा, लुमती गांव आपदा की वजह से लगभग खत्म से हो गए हैं, लोग राहत शिविर में रह रहे हैं. लोगो के पास मूलभूत सुविधाएं भी नही हैं.


हाल ही में इन गांवों का दौरा कर लौटे कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा बताते हैं कि लोग राहत शिविर में हैं जहां उनके पास मेडिकल एड, सही भोजन और शौचालय की काफी दिक्कत है. ऐसे में जब कोरोना महामारी चल रहा है तो इन इलाकों के ग्रामीणों पर दोहरी मार है इनके पास न रहने को घर है और न ही सरकार इन पर कोई ध्यान दे रही है.


सीएम ने नहीं किया दौरा
राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा का कहना है राज्य सरकार को तत्काल इनके विस्थापन पर विचार करना चाहिए और ऐसा राहत शिविर बनाना चाहिए जहां पर इनको मूलभूत सुविधाएं मिल सकें, अभी फिलहाल एक कमरे में कई लोग रह रहे हैं और सीएम ने भी अब तक वहां का दौरा नहीं किया है. पिथौरागढ़ आपदा में अब तक 15 से ऊपर लोगों की जान जा चुकी है.


बारिश बन जाती है मुसीबत
उत्तराखंड में हर वर्ष बारिश के कारण आने वाली आपदा से लाखों लोग प्रभावित होते है. लेकिन सर्वाधिक प्रभाव पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली और बागेश्वर जिले के निवासी होते हैं. ऐसे में विशेषज्ञों की टीम ने उत्तराखंड के 343 गांव को चिन्हित किए है जिन्हें आपदा के कारण विस्थापित करने की जरूरत है.


सीमांत क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या
उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रो में आज भी मोबाइल नेटवर्क की काफी समस्या है, इसको लेकर कई बार ग्रामीणों ने प्रदर्शन भी किया है लेकिन अब तक सुदूर गांव में सरकार नेटवर्क पहुंचाने में कामयाब नहीं हुई है.


नहीं है एनडीआरएफ की स्थायी टीम
उत्तराखंड में हर वर्ष बारिश के कारण आने वाली आपदा के बावजूद राज्य में एनडीआरएफ की स्थायी बटालियन नहीं है. जब भी राज्य में आपदा आती है तो गाजियाबाद या दिल्ली से एनडीआरएफ की टीम जाती है. राज्य में मौजूद एसडीआरएफ की टीम का मुख्यालय भी देहरादून में है. ऐसे में जब कभी दूर जिलो में आपदा आती है तो एसडीआरएफ की टीम को वहां पहुंचने में काफी वक्त लग जाता है.



केदारनाथ आपदा से नहीं लिया सबक
16 जून 2013 को केदारनाथ में आई भीषण आपदा के बाद केंद्र सरकार ने तय किया था कि उत्तराखंड में मौसम की बेहतर और सटीक भविष्यवाणी के लिए सीमांत जिलों में डॉप्लर रडार लगाया जाएगा जोकि पिथौरागढ़ समते कुल 4 जगह लगाने थे. लेकिन, केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक बदल गई और उत्तराखंड में अब तक मौसम का सटीक अनुमान लगाने के लिए डॉप्लर रडार को नहीं लगाया जा सका है.


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