गोरखपुरः राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने गोरखपुर में असामाजिक तत्‍वों पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जाति-पाति, विषमता, अस्पृश्यता जैसे सामाजिक विकार जितनी जल्दी हो सके, खत्म होने चाहिए. समाज का मन बदलना चाहिए. समाजिक अहंकार और हीनभाव दोनों समाप्त होने चाहिए. उन्‍होंने सद्भावना बिगाड़ने वाले तत्‍वों को निशाने पर लेते हुए कहा कि कुछ विकृतियों की वजह से समाज का ताना-बाना टूट रहा है.


गोरखपुर के ‘माधव धाम’ में चार दिवसीय प्रवास के दूसरे दिन रविवार को प्रांत कार्यकारिणी की बैठक में प्रान्त स्तर के विभिन्न छोटी-छोटी बैठकों को संबोधित करते हुए कार्य विस्तार, कार्यकर्ता विकास, सामाजिक सद्भाव, समाजिक समरसता और पर्यावरण विषय पर चर्चा की. सर संघचालक मोहन भागवत ने सामाजिक समरसता विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि पूरे समाज मे आपसी भेदभाव को दूर करने का कार्य ही स्वयंसेवक का गुण है. हमें समाज को सभी विकारों से मुक्त करके समरसता भाव वाले सामाजिक परिवेश को तैयार करना है. लंबे समय से समाज-तोड़क संवाद को सामाजिक समरसता से दूर किया जा सकता है.


मोहन भागवत ने कही ये बड़ी बात


सामाजिक सद्भभावना विषय पर चर्चा करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि कुछ विकृतियों की वजह समाज का ताना-बाना टूटा है. जाति-पात, विषमता, अस्पृश्यता जैसे सामाजिक विकार जितनी जल्दी हो सके, खत्म होने चाहिए. समाज का मन बदलना चाहिए. समाजिक अहंकार और हीनभाव दोनों समाप्त होने चाहिए. उन्होंने पर्यावरण विषय पर विस्तृत चर्चा करते हुए पर्यावरण के असंतुलन और दुष्प्रभावों को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि पर्यावरण को संतुलित बनाना हम सभी का मौलिक दायित्व है. प्रशिक्षण से जागरूकता फैलाकर हमे पर्यावरण को संतुलित बनाने का प्रयास करना चाहिए. उन्होंने स्वच्छता विषय पर भी ध्यान देते हुए कहा कि ग्रामीण, शहरी क्षेत्रों में साफ-सफाई बेहतर हो तो बीमारी नही घेरेगी. यह काम भी जागरूकता पर ही निर्भर करता है. हमें जागरूक करके पर्यावरण और स्वच्छता पर कार्य करने की आवश्यकता है.


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