Gorakhpur Night Shelter: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर (Gorakhpur) में नगर निगम की संवेदनहीनता सामने आई है, जहां बेसहारा, गरीब, बेघर लोगों को कड़ाके की सर्दी से बचाने के नाम पर भद्दा मजाक किया गया. नगर निगम ने शहर के पॉश सिविल लाइन इलाके में कई साल से चल रहे कूड़ा डंपिंग स्‍टेशन को ही रैन बसेरा (Night Shelter) बना दिया. इस रैन बसेरे में न तो गद्दा, तकिया, चादर है और न ही कोई मूलभूत सुविधाएं दी गई है. ये हाल तब है जब सीएम योगी ने कुछ ही दिन पहले ही गोरखपुर दौरे के दौरान रैन बसेरों का निरीक्षण कर सुव‍िधाओं में कमी न होने के निर्देश दिए थे.


गोरखपुर शहर के पॉश सिविल लाइंस इलाके में इंदिरा बाल बिहार के पूरब की ओर कूड़ा डंपिंग स्‍टेशन है. यहां पर कई साल से शहर का कूड़ा फेंका जा रहा है. नगर निगम के इस कूड़ा डंपिंग स्‍टेशन के ठीक पीछे गोरखपुर के एसएसपी का आवास भी है. लेकिन अब वहां से गुजरने वाले लोग हैरत में हैं. क्‍योंकि नगर निगम ने इस कूड़ा घर को साफ कराकर वहां रैन बसेरा बना दिया है. मोटे-मोटे अक्षरों में वहां पर रैन बसेरा लिखा गया है. हालांकि वहां न तो बिजली की व्‍यवस्‍था है, न ही किसी भी तरह की मूलभूत सुविधा दी गई है. 


कूड़ा घर को बनाया रैन बसेरा


हालत ये है कि कूड़ाघर में बने रैन बसेरे में अक्सर पशु भी कूड़ा कचरे में अन्न तलाशने पहुंच जाते हैं. जिस जगह पर बेघरों के लिए रैन बसेरा बनाया गया है वो जगह जानवरों के रहने लायक भी नहीं हैं. नगर निगम के इस कारनामे ने शहरवासियों के साथ कड़ाके की ठंड में शहर के बाहर से आकर रैन बसेरे में ठौर-ठिकाना बनाने वाले लोगों को भी हैरत में डाल दिया है. कूड़ाघर से रैन बसेरा बनी इस जगह के आस-पास लोग भी इसे देखकर हैरत में पड़ गए. उनका कहना है कि बरसों से वे लोग यहां पर कूड़ाघर देख रहे हैं. अब रैन बसेरा लिख दिया गया है.


लोगों का कहना है कि गोरखपुर नगर निगम के इस कारनामे पर उन्हें हैरानी हो रही है. जहां लोग ठंड में ठिठुर रहे हैं ऐसे मजबूर लोगों के साथ नगर निगम के अधिकारियों द्वारा भद्दा मजाक किया जा रहा है. 


नगर आयुक्त ने दी इस मामले पर सफाई


इस मामले पर गोरखपुर के नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने कहा कि शहर में कुल 13 रैन बसेरे हैं. वहां पर रुकने वाले लोगों के लिए चाक-चौबंद व्‍यवस्‍था की गई है. उन्‍होंने बताया कि पूरा उत्‍तर भारत शीतलहर की चपेट में है. नगर निगम गोरखपुर ने सभी 13 रैन बसेरों को क्रियाशील कर दिया गया है. उन्‍होंने खुद जाकर रैन बसेरा का निरीक्षण किया गया है. कंबल, रजाई, गद्दा और अन्‍य सुविधाओं को उपलब्‍ध कराया गया है. रैन बसेरों में इतनी बड़ी संख्‍या में लोग अभी नहीं आ रहे हैं. इंदिरा बाल बिहार पर जो रैन बसेरा लिखा गया है, उसे अस्‍थायी के रूप में रखा गया था. जरूरत पड़ने पर उसका उपयोग करने को रखा गया है. लेकिन वो उनके 13 रैन बसेरों की सूची में शामिल नहीं है. 


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