Gorakhpur Fertilizer Plant News: साल 1990 में बंद हो चुका ये कारखाना गोरखपुर (Gorakhpur) के लिए सारी उम्मीदें खत्म कर चुका था. लेकिन, उम्मीदें एक बार फिर से जिंदा हो गई हैं. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का ये ड्रीम प्रोजेक्ट अब लगभग बनकर तैयार हो चुका है, जिसका 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा शिलान्यास किया गया था. पहले चरण में पांच राज्यों को सप्लाई देने वाला ये कारखाना उत्तर प्रदेश, बिहार (Bihar), झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सप्लाई देगा. इन सभी 5 राज्यों में डीलर और रिटेलर नियुक्त किए जा चुके हैं. दूसरे चरण में 1400 किलोमीटर रेडियस में जो भी स्टेट आएंगे उनको रेलवे के जरिए खाद भेजा जाएगी. 


पूर्ण रूप से कंप्लीट होने की संभावना
वाइस प्रेसिडेंट टेक्निकल संजय गुप्ता और डॉक्टर रूपेश कुमार सिंह मुख्य प्रबंधक मार्केटिंग ने संयुक्त रूप से बताया कि दिसंबर मध्य तक टेस्टिंग कंप्लीट हो जाने की संभावना है. उन्होंने  बताया कि यहां पर 3850 मिट्रिक टन नीम कोटेड PRILL यूरिया प्रतिदिन तैयार होगा, इसके अलावा अमोनिया की कैपेसिटी 2200 मिट्रिक टन प्रतिदिन होगी.  


इतिहास
गोरखपुर में इस कारखाने का इतिहास बहुत पुराना है. ये इकलौता ऐसा कारखाना था जहां पर कई हजार लोग नौकरी करते थं. एक हादसे ने इस फैक्ट्री का सबकुछ खत्म कर दिया और बहुत से परिवार बेरोजगार हो गए. चलती फैक्ट्री में एक मजदूर की मौत होना इस फैक्ट्री के लिए काल बन गया और 1990 के आसपास ये फैक्ट्री बंद कर दी गई. तमाम सरकारें आईं और चली गईं, राजनीति का केंद्र भी बना रहा ये कारखाना लेकिन 22 जुलाई 2016 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारखाने का शिलान्यास किया तो लोगों की उम्मीदें हिचकोले खाने लगीं. 27 फरवरी 2018 को ये कारखाना दोबारा शुरू करने के लिए तीनों कंपनियां HURL, TOYO और PDIL ने शुरुआत की जो अब अपने अंतिम पड़ाव में है. माना जाए तो पूर्वांचल के साथ-साथ 5 राज्यों के किसानों के लिए ये सबसे बड़ी खुशखबरी होगी. 


देर होने की वजह
हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के वाइस प्रेसिडेंट संजय गुप्ता ने बताया कि पहला कारण ये है कि फर्टिलाइजर कारखाना तो अपने समय से ही चालू हो गया होता, पर कोविड-19 महामारी ने जैसे-जैसे अपना असर दिखाया वैसे-वैसे हमारे वर्करों पर भी असर पड़ा. लगभग 7000 हजार वर्कर जो हमारे वहां कार्य कर रहे थे, वो लोग कोरोना से ग्रसित होने लगे, नतीजा ये रहा कि वर्करों की तादात धीरे-धीरे शून्य हो गई और लगभग 2 से 3 महीने काम भी प्रभावित हुआ, बीच में जब इसकी शुरुआत हुई तो फिर इधर लगातार बारिश ने भी कुछ दिन काम को प्रभावित किया. आज हमारे पास जो लगभग 7000 वर्कर पहले कार्य कर रहे थे, उनमें से मात्र 25 से 26सौ वर्कर इस वक्त कार्य कर रहे हैं, फिर भी हमारा पूरा मैनजमेंट लगा हुआ है और ओवरआल लगभग 95 प्रतिशत कार्य पूरे हो चुके हैं, जो बचे हुए कार्य हैं वो भी जल्द पूरे हो जाएंगे. 


सप्लाई मिलने में हुई देरी
हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के वाइस प्रेसिडेंट संजय गुप्ता ने बताया कि दूसरा कारण ये है कि जहां से हमें सप्लाई मिलती है, वहां से भी सप्लाई मिलने में देर हुई है. क्योंकि जो स्थिति यहां पर कोविड को लेकर थी वही स्थिति लगभग हर जगह उत्पन्न हुई है. हमारी जो विजीआर कम्पनी है जो लोग वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य कर रहे हैं, वो लोग 80 प्रतिशत कार्य पूरा कर चुके हैं 20 प्रतिशत कार्य अभी भी बचा है. 


दिखा कोरोना का प्रभाव 
वाइस प्रेसिडेंट एचयूआरएल संजय गुप्ता का कहना है कि ओवरआल सारे कार्य हमारे 95 प्रतिशत तक पूरे हो चुके हैं. कारखाने का निर्माण कार्य अंतिम चरण में था तभी कोविड का संक्रमण तेज हो गया और नतीजा ये रहा कि कारखाने का सारा काम ठप हो गया. उन्होंने ये भी बताया कि आगर हम फर्टिलाइजर कारखाने को रेनोवेट करते तो वो सम्भव नहीं था कि वो अभी तक पूरा हो पाता. ये हमारा पूरा नया प्लांट है, इसको हम लोगों ने पूरे नए तरीके और नई मशीनरी लगाकर स्थापित किया है.



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