UP News: पूरी दुनिया में 14 फरवरी यानी वैलेंटाइन डे प्‍यार के इजहार करने का दिन होता है, लेकिन, गोरखपुर में अलग तरीके से आज के दिन को मनाया जाता है. 14 फरवरी को बच्‍चे मातृ-पितृ दिवस के रूप में मनाते हैं. माता-पिता का चंदन-तिलक लगाकर पूजा होती है. पैर धोकर आरती भी उतारी जाती है. बच्चे माता-पिता से आशीर्वाद लेते हैं. बच्‍चों को माता-पिता सबसे अधिक प्यार करते हैं. भगवान के बाद बच्चों की जिंदगी में माता-पिता का विशेष महत्‍व है. कालिन्‍दी पब्लिक स्‍कूल में मातृ-पितृ दिवस का आयोजन पिछले 11 साल से हो रहा है.


वैलेंटाइन डे को अलग तरीके से मनाया जाता है


संस्‍था के निदेशक राकेश सिंह पहलवान पूरी तन्‍मयता से आयोजन करते हैं. बेटे अभिषेक सिंह भी पिता का साथ देते हैं. बच्चों ने 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाया. इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किया गया. बच्चों ने गीत के माध्‍यम से अपनी भावनाओं को प्रस्‍तुत किया. माता-पिता की विधिवत पूजा की. बच्चों ने माता-पिता पर फूल भी बरसाए. सात फेरे लेकर बच्चों ने माता-पिता से आशीर्वाद लिया. कार्यक्रम में बच्चों का सम्मान पाकर माता-पिता भाव-विभोर हो गए.


बच्चे करते हैं माता-पिता की पूजा और परिक्रमा


कक्षा 7 में पढ़ने वाली छात्रा अ‍मृता मिश्रा ने बताया कि आज स्‍कूल में माता-पिता की पूजा-अर्चना की. उन्‍होंने बताया कि माता-पिता की आरती उतारने के साथ फेरे भी लिए. छात्रा ने आगे भी मातृ-पितृ दिवस मनाने का संकल्प लिया. अमृता की मां रेहा मिश्रा कहती हैं कि स्कूल में हर साल मातृ-पितृ पूजन दिवस का मनाया जाता है. इस मौके पर आयोजन भी होता है. इसके पीछे संदेश छिपा होता है कि माता-पिता के साथ बच्‍चे जुड़े रहेंगे. वैलेंटाइन डे को इसी तरह खत्‍म किया जा सकता है. उन्‍होंने बताया कि बच्‍चों के लिए माता-पिता भगवान का रूप होते हैं. 


कक्षा 10वीं की छात्रा नंदिनी ने बताया कि स्कूल में मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया गया है. उन्‍होंने बताया कि वैलेंटाटन डे के बजाय मातृ-पितृ दिवस मनाया जाता है. माता-पिता बच्चों को सबसे अधिक प्‍यार करते हैं. ऐसे में माता-पिता की पूजा और परिक्रमा की जाती है. नंदिनी की मां सीमा तिवारी और प‍िता सुनील तिवारी ने बताया कि स्कूल में बच्‍चों को बहुत अच्‍छा संस्‍कार दिया जाता है. बच्‍चों के लिए माता-पिता ही भगवान का रूप हैं. बच्‍चों ने माता-पिता का पूजन-अर्चन कर आशीर्वाद लिया है. माता-पिता जैसा संस्‍कार देंगे, बच्‍चे वैसे ही गुण सीखेंगे.


अभिभावक पूनम पाण्डेय, सरिता देवी और सुनीता देवी ने बताया कि बच्‍चे आज के दिन पूजा की थाली सजाते हैं. माता-पिता की पूजा करते हैं. हर साल आयोजन होता है. स्कूल में आकर बहुत अच्‍छा लगता है. उन्‍होंने बताया कि बच्‍चों ने माता-पिता का तिलक भी लगाया. स्कूल में वैलेंटाइन डे नहीं मनाया जाता है. कार्यक्रम के आयोजक राकेश सिंह पहलवान का कहना है कि सच्चे अर्थ में वैलेंटाइन डे अपने माता-पिता के साथ मनाना चाहिए. हम सबसे ज्यादा प्रेम माता-पिता से करते हैं.


आज के दिन कार्यक्रम से बच्चों और अभिभावकों में रिश्ता प्रगाढ़ करने का लिए मंच प्रदान करते हैं. उन्होंने बताया कि 11 साल से कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं. वैलेंटाइन डे भारत में कैंसर का रूप ले चुका है. उन्होंने वैलेंटाइन डे का विरोध किया. राकेश सिंह पहलवान ने कहा कि धरती पर माता-पिता बच्चों के पहले गुरु और पहली पाठशाला होते हैं. बच्चों के जीवन में संस्कार डालने का पहला काम घर पर माता-पिता करते हैं. आजीवन बच्चों की सुरक्षा कवच का काम करते हैं. आज के दौर में बच्चे बुजुर्ग माता-पिता को वृद्धा आश्रम भेजने लगे हैं. ऐसे में बच्चों को अच्छे संस्कार देने की आवश्यकता है. 


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