UP News: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी जीवा (Sanjeev Maheshwari Jeeva) की हत्या के पीछे किसकी साजिश है? जीवा की मौत से किसको फायदा होने वाला था? जीवा को गोलियों से छलनी करने वाला विजय लाल यादव (Vijay Lal Yadav) किसी के इशारे पर काम कर रहा था या उसकी कोई निजी दुश्मनी थी? वह मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) का गुर्गा था और पश्चिमी यूपी में उसका सिक्का चलता था. ऐसे में क्या मुख्तार अंसारी गैंग के विरोधी ने उसकी हत्या कराई? ऐसा कौन है जो माफिया मुख्तार अंसारी का वजूद खत्म करके अपनी बादशाहत कायम करना चाहता है. ऐसे तमाम बिंदुओं पर जांच एजेंसियों के अधिकारी पड़ताल कर रहे हैं.


मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में सनसनीखेज तरीके से हत्या कर दी गई थी. मुन्ना बजरंगी के बाद मुख्तार गैंग में संजीव जीवा दूसरा बड़ा नाम था. बुधवार को कोर्ट रूम में शूटर विजय यादव ने संजीव जीवा को गोलियों से भून कर उसका भी किस्सा खत्म कर दिया. मुख्तार अंसारी की पूर्वांचल के एक बाहुबली पूर्व सांसद से अदावत जगजाहिर है. मुन्ना बजरंगी की हत्या में भी पूर्व सांसद का नाम आया था. अब संजीव जीवा की हत्या में भी पूर्व सांसद का नाम सुर्खियों में है.


तीन साल तक मुंबई में रहा था विजय यादव


अंडरवर्ल्ड सूत्रों का कहना है कि पूर्व सांसद ने ही संजीव जीवा को मारने की सुपारी दी थी. जीवा की हत्या की कुछ कड़ियां भी इसी तरफ इशारा कर रही हैं. विजय यादव के खिलाफ जौनपुर और आजमगढ़ में नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर भगाने के आरोप में मुकदमा दर्ज है. कुछ दिन तक वो आजमगढ़ जेल में बंद भी रहा. करीब 3 साल तक विजय यादव मुंबई में भी रहा.


जौनपुर से जुड़ा होने के नाते पूर्व सांसद से भी उसका कनेक्शन चर्चा में है. पूर्व संसद का मुंबई में भी खासा हिसाब-किताब है. ऐसे में कहा जा रहा है कि विजय यादव मुंबई में पूर्व सांसद के ही रहमोकरम पर रहा. हत्या के लिए विजय यादव को सारी मदद पूर्व सांसद ने ही की. हालांकि, इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है. पूछताछ में विजय यादव ने भी इस तरह की कोई जानकारी नहीं दी है लेकिन जांच एजेंसियां इस बिंदु पर भी जानकारियां एकत्र कर रही हैं.


'जीवा की हत्या के पीछे भी कोई मास्टरमाइंड'


संजीव जीवा की कोर्ट रूम में हत्या में चेक रिपब्लिक की रिवॉल्वर मैग्नम अल्फा का इस्तेमाल किया गया था. मैग्नम अल्फा .357 बोर की रिवॉल्वर है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि हत्यारोपी विजय के पास ये रिवॉल्वर कैसे और कहां से आई? मैग्नम अल्फा रिवॉल्वर की बिक्री पंजाब और हरियाणा में ज्यादा होती है, जिस तरह अतीक अहमद और अशरफ की हत्या में जिगाना पिस्टल का इस्तेमाल किया गया, आशंका है कि उसी नेटवर्क से विजय यादव को मैग्नम अल्फा रिवॉल्वर मिली थी.


मैग्नम अल्फा रिवॉल्वर का एक कारतूस डेढ़ से दो हजार रुपये में आता है. जांच एजेंसियों को शक है कि पंजाब के किसी तस्कर या गैंगस्टर ने विजय तक ये रिवॉल्वर पहुंचाई. हालांकि, संजीव जीवा की हत्या विजय ने क्यों कि इसकी वजह अभी तक सामने नहीं आ सकी है. जांच एजेंसियों का मानना है कि अतीक अहमद और अशरफ की तरह ही जीवा की हत्या के पीछे भी कोई मास्टरमाइंड है. उसी मास्टरमाइंड ने विजय को मैग्नम अल्फा रिवॉल्वर दी थी. फिलहाल पुलिस की पहली प्राथमिकता है कि विजय से रिवॉल्वर के बारे में जानकारी ली जाए.


शूटर विजय की गाड़ी पुलिस के लिए बनी रहस्य


विजय यादव ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वो गाड़ी से कोर्ट आया था. संजीव जीवा के कोर्ट पहुंचने से पहले ही वो वहां आ गया था और उसका इंतजार करने लगा. लगभग पौने चार बजे जैसे ही संजीव जीवा कोर्ट के बाहर दिखा, उसने ताबड़तोड़ फायरिंग करके उसे मौत की नींद सुला दिया. पुलिस उसकी सच्चाई पता करने के लिए गाड़ी की तलाश कर रही है. कचहरी परिसर के सभी पार्किंग स्थल के अलावा आस-पास की सड़क पर खड़े होने वाले वाहनों में उसकी गाड़ी ढूंढी जा रही है.


पुलिस सूत्रों का कहना है कि विजय यादव दो पहिया वाहन से आया था. उसकी गाड़ी मिलने के बाद हत्याकांड की साजिश की परतें और खुलेंगी. फिलहाल अभी तक ये नहीं पता चल सका है कि जिस गाड़ी से विजय आया था, वो उसी की थी या उसे किसी ने वारदात के लिए उपलब्ध कराई थी. विजय यादव ने अकेले ही पूरी वारदात को अंजाम देने की बात कही है. हालांकि, पुलिस को शक है कि उसके साथ कोई दूसरा साथी भी था. पुलिस सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से उसे खबर देने वाले दूसरे बदमाश का पता लगाने में जुटी है.


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