बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले में नदियों की बाढ़ ने जो कहर बरपाया है, उसका दर्द लोगों के चेहरों पर उभरा हुआ है. यमुना और बेतवा नदी खतरे के निशान पर होने से सैकड़ा गांव और हजारों लोगों के आशियाने को रेत की ढेर की तरह मिटाकर बेघर कर दिया है. लेकिन इस पानी के सैलाब का कहर अभी भी थमता नजर नही आ रहा है. हमीरपुर जिले में यमुना नदी खतरे के निशान से 2 मीटर ऊपर बहने से कई गांव अपना वजूद खोने की कगार पर पहुंच गए हैं. सैंकड़ों घर मिट्टी की कटान के साथ नदी में समा गए हैं. सैकड़ों एकड़ कृषि योग्य जमीन को भी पानी निगल गया है  और अभी भी कटान होने के चलते सैकड़ों घर मिटने की कगार पर खड़े है. जिसके चलते गांव के कई लोग मौत की दहशत में जी रहे हैं. 


यूपी के हमीरपुर जिला मुख्यालय से महज एक किलो मीटर दूर स्थित कुछेछा मार्ग, जो बेतवा नदी के किनारे बसा है जहां के लोगों का मुख्य रूप से खेती ही व्यवसाय है. यहां लोग रोज कमाते और खाते हैं पर अब इनका गांव भी खतरे में है. दरअसल, इस गांव के किनारे बने कई घर बेतवा नदी में समाहित हो गए हैं और शहरी इलाकों में लोगों के घरों में पानी घुस गया है. मजबूरी में लोग राठ मार्ग के हाइवे में अस्थाई झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं. लोग अब दाने दाने को तरसते दिखाई देने लगे हैं. 


यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर 


एमपी और राजस्थान के बांधों से छोड़े गए पानी की वजह से यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान 103 मीटर से ऊपर 105 मीटर तक पहुंच गया है. वहीं, बेतवा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है, जिसकी वजह से बाढ़ की चपेट में लगभग 157 गांव के आने की संभावना है, जो प्रभावित देखे जा सकते हैं. इस बाढ़ के चलते जिला प्रशासन के माथे पर भी चिंता साफ़ नजर आ रही है. जिला प्रशासन के आला अधिकारियों ने गांव का निरीक्षण कर अलर्ट जारी कर दिया है. कुछ लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. बाढ़ की चौकियां भी बनाई जा रही हैं लेकिन अभी भी सैकड़ों लोगों की जिंदगी मुसीबत में है. 


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