Firozabad News: इस बार आजादी का 75 वा अमृत महोत्सव पूरे भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है और इस आजादी दिलाने में अहम भूमिका रखने वाले क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद भी हैं. जिनकी वजह से हमें अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिली थी और वह देश को आजाद कराने के लिए हंसते-हंसते शहीद हो गए. चंद्रशेखर आजाद उस समय फिरोजाबाद में भी रहे, आजादी की उस समय की लड़ाई में क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों से लोहा लेकर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों की नाक में नकेल डाल रखी थी इसलिए अंग्रेज उन्हें पकड़ना चाहते थे. उनसे छुपने के लिए उस समय वह फिरोजाबाद के पेमेश्वर नाथ मंदिर में आकर छुप गए थे.
जब पेमेश्वर नाथ गुफा में छुपकर रहे थे चंद्र शेखर आजाद इस प्राचीन मंदिर पेमेश्वर नाथ मैं उस समय बगीची थी और उस बगीची में गुफा थी जिसमें अंग्रेजों से छुपने के लिए चंद्र शेखर आजाद वहां आए और रहने लगे लेकिन वहां के लोगों को यह नहीं पता था कि यह चंद्रशेखर आजाद हैं. वही मंदिर परिषद मैं बगीची में एक अखाड़ा था जहां क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद सुबह प्रातः काल उठकर व्यायाम करते थे और दिन में कुश्ती का अभ्यास भी करते थे. करीब 1 महीने क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद उस प्राचीन मंदिर में बनी गुफा मैं छुप कर रहे और वहां पेमेश्वर नाथ महादेव मंदिर में पूजा अर्चना भी की और फिर चले गए. जब वह चले गए तब लोगों को पता लगा कि जिन लोगों के साथ जो शख्स पहलवान रहता था. वह और कोई नहीं बल्कि क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद थे तभी इसे इस प्राचीन मंदिर पेमेश्वर नाथ महादेव पर चंद्र शेखर आजाद जी का चित्र लगा हुआ है और लोग उन्हें आज भी याद करते हैं.
अब वहां है माता रानी का मंदिरऋषि पहलवान ने बताया कि यह वही अखाड़ा है जहां क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद जी ने कुश्ती लड़ी थी और व्यायाम करते थे. यह पेमेश्वर नाथ मंदिर में बना हुआ है और हम भी आज यहां व्यायाम करते हैं और कुश्ती लड़ते हैं. हमारे पूर्वज बताते हैं कि चंद्रशेखर आजाद जी यहां रहे और यह हमारे लिए बहुत बड़ी खुशी की बात है. नरेश चंद्र पाराशर महंत पेमेश्वर नाथ महादेव मंदिर ने बताया कि मैं करीब 16 साल से यहां पूजा कर रहा हूं और यहां जो उम्र दराज लोग थे वह बताते हैं कि यहां चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों से छुपकर अज्ञातवास काटा था, तब यहां एक बगीची थी उसमे गुफा थी जिसमें चंद्र शेखर आजाद छुप कर रहते थे. लेकिन यह किसी को पता नहीं था कि यह यह चन्द्र शेखर आजाद है, यहां एक अखाड़ा भी है वहां पर वह व्यायाम करते थे ओर कुश्ती भी लड़ी हैं.जब वह चले गए तब लोगों को पता लगा कि वह चंद्र शेखर आजाद ही थे, इसलिए उनका चित्र बनाकर यहां लगाया गया है. उनकी यादें इस मंदिर से जुड़ी हुई है. जिस गुफा में वह छिपे थे उसमे माता रानी का मंदिर बन गया है.
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