Block Pramukh Election in Prayagraj: संगम नगरी प्रयागराज में हो रहे ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव को बीजेपी और समाजवादी पार्टी ने अपनी नाक का सवाल बना रखा है. यहां दोनों ही पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. प्रयागराज की कुल 23 में से ज्यादातर सीटों पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच ही सीधा मुकाबला है. बीजेपी के सामने जहां पंचायत अध्यक्ष चुनाव में मिली एकतरफा जीत को दोहराने की चुनौती है, तो वहीं विपक्षी पार्टियों के सामने खाता खोलने की. बीएसपी और कांग्रेस जैसी पार्टियां इस चुनाव से तकरीबन दूर ही हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष की अगुवाई कर रही समाजवादी पार्टी कितने ब्लॉकों में बीजेपी के विजय रथ को रोक सकने में कामयाब होती है. सियासी पार्टियां यहां जीत हासिल करने के लिए हर तरह के सियासी हथकंडों का इस्तेमाल कर रही है. 
 


21 सीटों पर चुनाव लड़ रही है बीजेपी 


प्रयागराज में कुल 23 ब्लॉक हैं और यहां 2083 वोटर हैं. यह वो वोटर हैं जो अप्रैल महीने में हुए पंचायत चुनाव में बीडीसी सदस्य चुने गए थे. चुनाव में वैसे तो समाजवादी पार्टी समर्थित ज्यादा सदस्यों को जीत हासिल हुई थी, लेकिन ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष की तरह ही बीजेपी का पलड़ा ज्यादा मजबूत नजर आ रहा है. हालांकि, कोई भी पार्टी यहां सभी 23 सीटों पर नहीं लड़ रही है. बीजेपी 21 सीटों पर चुनाव मैदान में है, जबकि एक सीट उसने सहयोगी पार्टी अपना दल एस के लिए छोड़ रखी है. इसके अलावा एक सीट पर पार्टी ने अभी कोई फैसला नहीं किया है. इसी तरह समाजवादी पार्टी भी 23 में से 22 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है. 


समाजवादी पार्टी ने तकरीबन 90 फ़ीसदी उम्मीदवारों के नामों का ऐलान मई महीने में ही कर दिया था. ऐसे में उसके प्रत्याशियों को तैयारियों का भरपूर मौका मिल गया था. बीजेपी ने नामांकन से कुछ घंटे पहले ही अपनी सूची जारी की है. बीएसपी - कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कोई भी उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा है. हालांकि, इन पार्टियों से जुड़े हुए सदस्य किस पार्टी का उम्मीदवार को समर्थन करेंगे, इसका खुलासा भी नहीं किया गया है. प्रयागराज में ज्यादातर सीटों पर बेहद नजदीकी और दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. 


सपा ने उठाए सवाल 


बीजेपी ने जहां सभी सीटों पर एकतरफा जीत का दावा किया है तो वहीं समाजवादी पार्टी ने निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव को लेकर सवाल उठाए हैं और सत्ता पक्ष पर प्रशासन के दुरुपयोग का आरोप लगाया है. चुनाव में जोड़-तोड़, धनबल और बाहुबल का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है. कई उम्मीदवार तो सदस्यों को लेकर यूपी के बाहर तक चले गए हैं. क्रास वोटिंग का सबसे ज्यादा डर समाजवादी पार्टी को है. पिछले हफ्ते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में समाजवादी पार्टी को क्रॉस वोटिंग का खामियाजा भुगतना पड़ा था. बीजेपी नेताओं का कहना है केंद्र की मोदी और योगी सरकार योजनाओं और कामकाज के सहारे वह चुनाव मैदान में उतरेंगे उतरे हुए हैं और यहां भी पंचायत अध्यक्ष की तरह उन्हें एकतरफा जीत हासिल होगी.


इतिहास रचेगी बीजेपी


बीजेपी के वरिष्ठ नेता और काशी प्रांत के उपाध्यक्ष अवधेश गुप्ता का कहना है कि, आठ सौ से ज़्यादा सीटों पर हो रहे चुनाव के नतीजे कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की तस्वीर साफ़ करेंगे. उनके मुताबिक़ बीजेपी इस चुनाव में इतिहास रचेगी. दूसरी तरफ़ समाजवादी पार्टी का दावा है कि अगर चुनाव निष्पक्ष हुए तो ज़्यादातर सीटों पर उसके ही उम्मीदवार जीतेंगे. सपा नेता हाजी माशूक खान ने दावा किया है कि उसके लोगों को प्रचार करने और वोट डालने से रोका जा रहा है. उन्होंने स्वतंत्र आब्जर्वर नियुक्त कराए जाने की मांग की है. हाजी माशूक खान का कहना है कि ब्लाक प्रमुख चुनाव के बजाय पंचायत चुनाव के नतीजों को विधानसभा का सेमीफाइनल मानना चाहिए, क्योंकि वह चुनाव जनता के बीच हुए थे.  


क्या कहना है राजनीतिक विश्लेषकों का


राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि, ब्लाक प्रमुख चुनाव में बीजेपी का पलड़ा काफी मजबूत है. वरिष्ठ पत्रकार मनोज तिवारी के मुताबिक़ हालांकि इस तरह के चुनाव में हमेशा सत्ता पक्ष ही एकतरफा जीत हासिल करती है. उनका दावा है कि इस चुनाव को विधानसभा चुनाव से जोड़कर कतई नहीं देखना चाहिए, क्योंकि दोनों चुनावों का मिजाज़ बेहद अलग होता है. ब्लाक प्रमुख चुनाव में कुछ चुने हुए लोग पैसों को लेकर वोट डालते हैं तो दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव में करोड़ों जनता सरकार चुनती है. प्रशासन ने चुनाव को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने का दावा किया है. डीएम संजय खत्री और डीआईजी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी का कहना है कि चुनाव में कोविड प्रोटोकॉल और चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन कराया जाएगा. 


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