UP News: हिमाचल में बन रहीं नकली दवा को उत्तर प्रदेश के रास्ते पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, आंध्र प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में पहुंचाया जा रहा है. इस नेटवर्क को तोड़ने के लिए एसटीएफ और एफएसडीए ने संयुक्त रूप से मुहिम शुरू की है. टीम ने आगरा, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर दवा मंडी के कई व्यापारी को रडार पर लिया है. सूत्रों की मानें तो इस कारोबार में मेडिकल और इंजीनियरिंग से लेकर इंटरमीडिएट और अन्य डिग्री धारक तक शामिल हैं.


मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश में करीब 70,989 थोक और 1,05,700 फुटकर ऐसे दवा कारोबारी हैं जो कि इस नेटवर्क में शामिल हैं. नकली दवा लोगों के लिए काफी घातक साबित हो सकती है. इसमें ज्यादातर कैंसर की दवाईयां शामिल की जा रही हैं. यही नहीं, इसके अलावा गर्भपात, फेफड़े सहित विभिन्न तरह के संक्रमण, गठिया रोग, इम्यूनिटी से जुड़ी दवाई भी शामिल हैं.


हर दिन 50 करोड़ का कारोबार


एसटीएफ और एफएसडीए की पड़ताल में नकली दवाईयों के बेचे जाने के संदर्भ में कई खुलासे हुए हैं. नकली दवा का कारोबार करने वालों का यह नेटवर्क नामचीन कंपनी की ब्रांड नेम से मिलते जुलते नाम वाली दवाई तैयार कर कई राज्यों में पहुंचा रहा है. जो ब्रांडेड दवा ₹50 की मिलती है, उसी की नकली दवा 30 से 40 रुपये में उपलब्ध कराई जा रही है. ब्रांडेड दवा के नाम से मिलती-जुलती दवाएं सस्ते दामों में बेची जाती हैं. इससे हर दिन 50 करोड़ से अधिक का कारोबार हो रहा है.


ऐसे हुआ पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश


मालूम हो कि साल 2022 के नवंबर-दिसंबर महीने में नोएडा में नकली दवा बनाने की कंपनी पकड़ी गई थी. जिसके आधार पर हुई पड़ताल में नकली दवा का नेटवर्क होने की जानकारी मिली थी. यही नहीं, वाराणसी में भी एसटीएफ के एडिशनल एसपी विनोद कुमार सिंह के नेतृत्व में करीब 7 करोड़ की दवा की खेप पकड़ी गई.  जबकि दो दिन पहले वाराणसी में 5 लोगों को भी पकड़ा गया, जो वाराणसी में दवाई स्टोर करने के बाद अन्य राज्यों तक पहुंचाता था. इस मामले में अब तक कुल 17 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.


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