प्रयागराज: मौनी अमावस्या के दिन कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा की प्रयागराज यात्रा के खूब चर्चे हो रहे हैं. अपनी इस यात्रा के दौरान प्रियंका गांधी ने प्रयागराज के माघ मेले में संगम पर आस्था की डुबकी लगाई थी. साथ ही शंकराचार्य के आश्रम जाकर उनसे आशीर्वाद भी लिया था.


यात्रा को निजी बताकर प्रियंका गांधी यहां तकरीबन पूरे वक्त चुप्पी साधे रहीं, लेकिन मौन रहकर भी वह यूपी की सियासत में शोर मचाते हुए बड़ा सियासी संदेश देने में जरूर कामयाब रहीं. प्रियंका की इस आस्था यात्रा की कामयाबी के बाद कांग्रेस के नेताओं और रणनीतिकारों में श्रेय लेने की होड़ मची हुई है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि प्रियंका के इस दौरे को कामयाब करने में सबसे अहम रोल बीजेपी के एक कद्दावर नेता का है.


प्रियंका गांधी ने प्रयागराज में लगाई आस्था की डुबकी


यह कद्दावर नेता केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री हैं और प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के बाद नंबर तीन की हैसियत रखते हैं. इनके दखल के बिना प्रियंका वाड्रा की यह यात्रा अधूरी रह जाती और शायद अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब भी न हो पाती.


मौनी अमावास्या के दिन प्रयागराज की आस्था यात्रा में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का खास फोकस दो आयोजनों पर था. पहला उन्हें बेटी मिराया के साथ संगम जाकर वहां आस्था की डुबकी लगाते हुए पूजा-अर्चना करनी थी. वहीं दूसरा द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेना था. मौनी अमावस्या की वजह से माघ मेला क्षेत्र और आसपास ही नहीं बल्कि पूरे प्रयागराज में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते प्रियंका का संगम पहुंच पाना मुश्किल लग रहा था. सबसे बड़ी समस्या शंकराचार्य आश्रम के आश्रम तक जाने की थी.


शंकराचार्य स्वामी से भी मिली प्रियंका


दरअसल, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का प्रयागराज में मनकामेश्वर मंदिर कैम्पस में जो आश्रम है, वह कैंटोमेंट एरिया में आता है. यहां तक पहुंचने का तकरीबन एक किलोमीटर का यह रास्ता सेना के कब्जे में रहता है. सेना ने आश्रम से करीब एक किलोमीटर पहले अपना गेट भी लगा रखा है. यहां आम लोगों की आवाजाही पर पाबंदी रहती है. मंदिर में दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं को कुछ देर जाने की इजाजत दी जाती है, वह भी तमाम शर्तों और सेना की सुरक्षा के बीच.


यहां आमतौर पर वाहनों का संचालन भी प्रतिबंधित रहता है. ऐसे में कांग्रेस नेताओं के सामने बड़ी समस्या यह थी कि प्रियंका आखिरकार शंकराचार्य के आश्रम तक कैसे जाएंगी. वैसे भी उन्हें जिस वक्त शंकराचार्य के आश्रम जाना था, उस वक्त रास्ता पैदल जाने वालों के लिए भी अमूमन बंद ही रहता है.


रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने की मदद


कांग्रेस नेताओं ने इस बारे में प्रयागराज के सरकारी अमले से मदद मांगी तो उसने सेना का मामला बताकर अपने हाथ खड़े कर दिए. स्थानीय अफसर तो मौनी अमावस्या के दिन दौरे को मंजूरी देने तक के पक्ष में नहीं थे. ऐसे में प्रियंका को बिना प्रोटोकॉल के सिर्फ सामान्य सुरक्षा के बीच ही आने की इजाजत दी गई थी.


शंकराचार्य आश्रम तक जाने का कोई रास्ता नहीं निकलने पर कांग्रेस के रणनीतिकारों ने इस मामले में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से संपर्क कर उनसे मदद की गुहार लगाई. राजनाथ सिंह से बात करने की जिम्मेदारी मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और राज्यसभा के पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी को दी गई. दोनों नेताओं ने इस मामले में राजनाथ सिंह से निजी रिश्तों की दुहाई देते हुए उनसे मदद की अपील की.


रक्षामंत्री के पीए की संपर्क में रहे प्रमोद तिवारी


रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले में सियासत को दरकिनार करते हुए सीधे तौर पर दखल दिया. उन्होंने अपने निजी सचिव कुंदन कुमार के जरिए सेना के स्थानीय अफसरों को न सिर्फ प्रियंका और उनके साथ के लोगों को शंकराचार्य आश्रम तक जाने की इजाजत दिए जाने को कहा, बल्कि वाहनों पर सवार होकर जाने की भी मदद कराई.


दिग्विजय सिंह और प्रमोद तिवारी इस दौरान लगातार राजनाथ सिंह के पीए कुंदन कुमार के संपर्क में रहे. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी और कुंदन कुमार के बीच व्हाट्सऐप पर करीब दस मैसेज के जरिये बातचीत भी हुई. राजनाथ सिंह के निर्देश के चलते प्रियंका गांधी वाड्रा प्रयागराज दौरे में शंकराचार्य आश्रम तक जा पाई थीं. इतना ही नहीं अकेले प्रियंका ही नहीं, बल्कि उनके काफिले में चल रही तकरीबन तीस से चालीस वाहन भी आश्रम तक बिना किसी रोक टोक के सीधे तौर पर चले गए थे.


रक्षामंत्री ने जाना हाल


रक्षामंत्री और बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने सियासी शिष्टाचार का पालन करते हुए सिर्फ इतनी ही दरियादिली नहीं दिखाई, बल्कि अगले दिन सुबह संसद जाने से पहले ही उन्होंने खुद कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी को फोन कर व्यवस्थाओं के बारे में पूछा. उन्होंने पूछा कि प्रियंका और उनके साथ गए लोगों को आश्रम तक आने जाने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई.


कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य और इन दिनों प्रियंका गांधी के करीबियों में शुमार पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी ने एबीपी गंगा चैनल से बात करते हुए इस पूरे घटनाक्रम की पुष्टि करने के साथ ही राजनाथ सिंह और सेना के अफसरों का शुक्रिया भी अदा किया है. उनका भी मानना है कि अगर राजनाथ सिंह ने इस मामले में दखल न दिया होता तो प्रियंका का यह दौरा शायद अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब न हो पाता.


बहरहाल चार दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की तारीफ करते हुए भावुक होकर देश की संसद में आंसू बहा दिए थे तो अब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की आस्था यात्रा में आने वाली रुकावटों को दूर कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि सियासी प्रतिद्वंदिता अपनी जगह है तो शिष्टाचार अपनी जगह.


चुनावी मैदान में दोनों पार्टियों के लोग भले ही आमने सामने हो सकते हैं, लेकिन इससे अलग सार्वजनिक मंचों पर भी प्रतिद्वंदी का सम्मान और उसकी मदद ही लोकतंत्र की अवधारणा को मजबूत करता है. कहा जा सकता है कि पीएम मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जो मिसाल पेश की है, वह आने वाले दिनों में सियासत की दुनिया में नजीर के तौर पर देखी जाएगी.


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