Alive Man Terahvi Sanskar: उत्तर प्रदेश के एटा जनपद के सकीट थाना छेत्र में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसमें परिवार वालों से कोई उम्मीद न होने पर एक बुज़ुर्ग ने अपने जिन्दा रहते ही अपनी तेरहवीं कर दी और पिंड दान कर दिया. यही नहीं उसने 700 लोगों को अपनी तेरहवी का मृत्यु भोज भी करवा दिया. सकीट ब्लॉक के 55 वर्षीय हाकिम सिंह की शादी नहीं हुई है. वे अपने घर में अपने भाई और भतीजों के साथ रहते हैं. उन्होंने हाकिम सिंह की जमीन पर भी कब्जा कर लिया है और मारपीट भी करते हैं.


इसलिए अपने परिजनों से कोई उम्मीद न होने के कारण हाकिम  सिंह को विश्वास हो गया कि उसके मरने के बाद कोई भी उसकी तेरहवीं संस्कार नहीं करेगा. इसलिए उसने अपने जीते जी ही अपनी तेरहवीं और पिंडदान करने का निश्चय किया. आज यानी 16 जनवरी को उसने पूर्व योजना के तहत विधिवत धार्मिक रीति रिवाज से अपनी तेरहवीं कि और पिंडदान कराया. उसने गांव के और आस पास के 700 लोगों को मृत्यु भोज भी करवाया.  इसकी चर्चा आस पास के गावों  में भी हों रही है,  जो भी इस जिन्दा मृत्यु भोज को सुन रहा है वो आश्चर्य प्रकट कर रहा है. आश्चर्य जनक बात ये रही कि इस आयोजन की किसी भी प्रकार की भनक पुलिस और प्रशासन तक को नहीं लगी. 


विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार 55 साल के हकीम सिंह 5 भाई हैं. हाकिम सिंह की शादी नहीं हुई. शादी न होने पर ये बिहार से किसी महिला को लेकर आये थे, जो बाद में चली गयी. इनके पास 4 से 5 बिस्वां जमीन है. जमीन पर भाई भतीजों ने कब्जा कर लिया है और उन्होंने मारपीट कर उसका हांथ भी तोड़ दिया है. उसके अतिरिक्त 10 बिघा जमीन और है. परसो इनकी तबियत बिगड़ी और इनको लगा कि ये बचेंगे नहीं तो इन्होंने आनन फानन में अपनी 10 बिस्वें जमीन को 50 हजार रुपये में बेंच दिया और आज उसी रुपये से अपनी तेरहवीं का मृत्यु भोज कर दिया और पिंड दान भी किया. इनका कहना है कि अब ये चैन से मर सकेंगे और अब इनको ये भय भी नहीं सताएगा कि मरने के बाद इनकी तेरहवीं भी होगी या नहीं. 


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