उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में एक अजीब मामला सामने आया है. वहां सरकारी बाबुओं ने 85 साल की एक बुजुर्ग महिला को कागजों में मृत दिखा दिया. इससे उसकी वृद्धा पेंशन रुक गई. इससे परेशान इस बुजुर्ग ने अधिकारियों के यहां फरियाद की. अधिकारियों ने जब जांच कराई तो बुजुर्ग महिला को जिंदा माना. अब जिला प्रशासन ने इस मामले का संज्ञान लेकर आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं.


एसडीएम ने सुनी बुजुर्ग महिला की फरियाद


यह मामला 85 साल की हो चुकीं बूंदी का है. खतौली के मिट्ठूलाल मोहल्ले में रहने वाली बूंदी विधवा, बेऔलाद और बेघर हैं. वो पड़ोसियों की मदद और वृद्धावस्था पेंशन के सहारे जिंदगी गुजार रही थीं. बूंदी को सरकारी कर्मचारियों ने वार्षिक भौतिक सत्यापन में मृत दिखाकर उनकी पेंशन रोक दी थी. बूंदी सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटकर खुद के जिंदा होने का सबूत देती रहीं. लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई. 


यह मामला जब एसडीएम तक पहुंचा तो जांच में बूंदी जिंदा निकलीं. बूंदी समाजसेवी जमीन अंसारी के साथ गुरुवार को खतौली के एसडीएम जीत सिंह राय के सामने हाजिर हुईं. उन्होंने एसडीएम को खुद को जिंदा बताते हुए अपनी पीड़ा सुनाई. बुजुर्ग की आपबीती सुनकर उपजिलाधिकारी भी हैरान रह गए. उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए लेखपाल अजेंद्र सिंह राठी को बुलाकर मामले की जांच के आदेश दिए.


लेखपाल ने महिला के नाम से जारी आधार कार्ड देखा. भौतिक सत्यापन का वह कागज भी देखा, जिसमें बूंदी को मृत दर्शाया गया था. करीब एक घंटे की जांच के बाद माना गया कि तहसील पहुंची बुजुर्ग महिला बूंदी ही हैं. वो जिंदा हैं. लेखपाल ने रिपोर्ट एसडीएम को भेजी तो फाइलों में बुजुर्ग महिला फिर से जिंदा हो गई. 


इस संबंध में जब मुख्य विकास अधिकारी आलोक कुमार यादव से बात की गई तो उनका कहना था कि यह मामला अभी उनके संज्ञान में नहीं आया है. अगर ऐसा है तो जांच कर आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. 


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