Uttarakhand News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी (Uttarkashi) में सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील पुरोला (Purola) कस्बे में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कथित दबाव में मुस्लिम समाज के लोग गुरुवार को ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Adha) के मौके पर सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढ़ने के लिए इकट्ठा नहीं हुए. पुरोला में रह रहे मुसलमान सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने के लिए वहां से करीब 30 किलोमीटर दूर सांद्रा या विकासनगर गए. इस पर देहरादून (Dehradun) के मुस्लिम संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि ऐसी बात भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना के खिलाफ है.


संगठनों ने इसे प्रशासन की विफलता करार देते हुए दावा किया कि राजनीतिक प्रश्रय के बिना ऐसी बातें नहीं हो सकतीं. उत्तराखंड में मुसलमानों के हकों के लिए संघर्ष करने वाले संगठन मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम अहमद ने देहरादून में कहा, "अगर पुरोला में कोई ईदगाह नहीं थी, तो लोगों को मस्जिदों में एकत्रित होकर नमाज पढने की इजाजत दी जानी चाहिए थी. नमाज पढ़ने के लिए उन्हें कहीं इकट्ठा न होने देना इस बात की पुष्टि करता है कि इस धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक रूप से विविधता वाले देश में मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता रहेगा. यह प्रशासन की विफलता है. अलगाववादी ताकतों को राजनीतिक प्रश्रय मिले बिना ऐसी बातें नहीं हो सकती हैं."


कई लोगों ने उत्तरकाशी में पढ़ी नमाज


पुरोला में पिछले 35 साल से कपड़े की दुकान चला रहे अशरफ ने बताया कि पुरोला विकासखंड की 53 ग्राम सभाओं में से किसी ने उन पर कभी उंगली नहीं उठाई लेकिन आज उन्हें घर के अंदर बंद दरवाजों में नमाज पढ़ने के लिए कहा जा रहा है. उन्होंने बताया कि बकरीद से एक दिन पहले बुधवार को ही उनके पिता वाले खां, उनका बेटा मुहम्मद और वे स्वयं सांद्रा चले गए और गुज्जरों के साथ सामूहिक नमाज पढ़ी. कुछ अन्य लोग बकरीद की नमाज पढ़ने के लिए पुरोला से विकासनगर और उत्तरकाशी गए, वहां सामूहिक रूप से नमाज पढ़ी.


पुलिस ने बकरीद की नमाज को लेकर क्या कहा?


पुरोला के पुलिस थानाध्यक्ष अशोक चक्रवर्ती ने कहा कि पुलिस ने ईद-उल-अजहा पर शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए सभी पक्षों के साथ एक बैठक की थी, लेकिन नमाज के लिए कोई सार्वजनिक सभा आयोजित न करना मुसलमानों का अपना निर्णय था. उधर, विहिप के पुरोला के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र रावत ने कहा कि उन्होंने नमाज पढ़ने को कभी मना नहीं किया था लेकिन इतना कहा था कि सार्वजनिक जगह पर अल्पसंख्यक लोग इकट्ठा होकर सामूहिक नमाज न पढें. उन्होंने कहा, ‘‘किसी की भावनाओं को आहत करना उनका उद्देश्य कभी नहीं रहा है. क्या कभी किसी को अपने घर में निजी रूप से नमाज पढ़ने से रोका जा सकता है?


क्या है पूरा मामला?


गौरतलब है कि पिछले माह की 26 तारीख को अल्पसंख्यक समुदाय के एक युवक सहित दो व्यक्तियों की ओर से एक लड़की को अगवा किए जाने का प्रयास किए जाने के बाद से पुरोला कस्बे में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था. अगले दिन दोनों व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. विहिप और बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों की ओर से ‘लव जिहाद’ करार दी गई इस घटना को लेकर पुरोला में कई दिनों तक तनावपूर्ण स्थिति बनी रही थी. दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों की ओर से ‘महापंचायत’ के आयोजन को रोकने के लिए कस्बे में धारा 144 लगानी पड़ी. इस दौरान कई मुसलमान दुकानदार अपनी दुकानें बंद करके चले गए जो लंबे समय बाद दोबारा खुल पाईं.


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