देवोत्थान एकादशी की पूर्व संध्या पर संगम नगरी प्रयागराज एक बार फिर आध्यात्मिक रंग में रंगी नजर आई. हर वर्ष की तरह इस बार भी मौजगिरि घाट पर दीपदान महायज्ञ एवं कालिंदी महोत्सव का पारंपरिक आयोजन किया गया, जिसमें सवा लाख से अधिक दीपों की लौ ने यमुना नदी के प्रवाह को सुनहरी और दूधिया आभा से प्रकाशमान कर दिया. हजारों दीपों की लहराती रोशनी ने ऐसा दृश्य रचा, मानों आसमान के असंख्य सितारे धरती पर उतर आए हों.

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इस पावन अवसर पर मां कालिंदी (यमुना) की भव्य आरती की गई, जिसमें साधु-संतों, नागा संन्यासियों और बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया. यमुना की धारा पर दीप प्रवाहित करने के लिए एक दर्जन से अधिक नावों की व्यवस्था की गई थी, जिससे घाट पर उपस्थित हर श्रद्धालु इस अनूठे आध्यात्मिक अनुभव का हिस्सा बन सका. वातावरण में गूंजते मंत्रोच्चार और दीपों की रोशनी ने पूरे क्षेत्र को दिव्यता से भर दिया.

श्री दत्तात्रेय सेवा समिति के तत्वावधान में हुआ आयोजन

इस भव्य आयोजन की जिम्मेदारी श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के संतों के संरक्षण में चल रही श्री दत्तात्रेय सेवा समिति ने निभाई. कार्यक्रम में जूना अखाड़े के नागा तपस्वी महंत शिवानंद गिरि, मौजगिरि आश्रम के साधु, अनेकों अखाड़ों के संत तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे. महंत शिवानंद गिरि ने बताया कि पिछले दस वर्षों से यह महोत्सव लोककल्याण और विश्व शांति की कामना से आयोजित किया जा रहा है.

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विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति

कार्यक्रम का शुभारंभ इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जस्टिस शेखर यादव ने दीप प्रज्वलित कर किया, जबकि जस्टिस पी. के. गिरी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता महंत शिवानंद गिरि महाराज ने की.

देवोत्थान एकादशी का महत्व

सनातन परंपरा के अनुसार देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं. इसे चातुर्मास का समापन और शुभ कार्यों की पुनः शुरुआत का पर्व माना जाता है. इसी पावन तिथि पर प्रयागराज में हर वर्ष दीपदान और कालिंदी महोत्सव का आयोजन होता है.

सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम

कार्यक्रम के दौरान पुलिस और प्रशासन द्वारा घाट क्षेत्र में सुरक्षा एवं व्यवस्था को लेकर व्यापक तैयारी की गई. पूरी रात स्थानीय लोग, श्रद्धालु और साधु-संत भक्ति, संगीत और दीपोत्सव में रमे रहे.