UP News: भारत ने दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (Delhi-Meerut RRTS) कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए बड़ी छलांग लगाई है. केंद्र सरकार और एशियाई विकास बैंक (ADB) ने 37 अरब जापानी येन (करीब 25 करोड़ डॉलर) के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर के निर्माण में बड़ी मदद मिलेगी. भारत सरकार और एडीबी के बीच हस्ताक्षर 15 दिसंबर को हुआ था. हस्ताक्षर करनेवालों में आर्थिक मामलों के विभाग की संयुक्त सचिव जूही मुखर्जी और एडीबी के उप देश निदेशक हो युन जियोंग थे. इससे पहले 2020 में, एडीबी ने दिल्ली को अन्य शहरों से जोड़ने के लिए 104.9 करोड़ डॉलर का ऋण मंजूर किया था.


Delhi-Meerut RRTS कॉरिडोर निर्माण के लिए ऋण


एनसीआर क्षेत्रीय योजना 2021 के तहत तीन प्राथमिकता वाले रेल गलियारों में से पहले आरआरटीएस निर्माण का समर्थन करने की बात कही गई थी. अन्य परिवहन साधनों के साथ आरआरटीएस में मल्टी-मॉडल हब होंगे. एडीबी ऋण की पहली किस्त 50 करोड़ डॉलर की थी और अन्य 50 करोड़ डॉलर का सह-वित्त पोषण एआईआईबी की तरफ से किया गया था. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आबादी वाले हिस्सों से गुजरते हुए, 82 किलोमीटर का गलियारा तेज, सुरक्षित और उच्च क्षमता वाली यात्री पारगमन सेवाएं प्रदान करेगा.


भारत और एशियाई विकास बैंक के बीच हस्ताक्षर


गलियारा बन जाने से यात्रियों के समय की काफी बचत होगी. यात्रा का समय करीब 3-4 घंटे कम हो जाएगा. क्षेत्र में आर्थिक और रोजगार के अवसरों का विस्तार होगा. ऋण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद मुखर्जी ने कहा कि निवेश परियोजना आरआरटीएस को शहरी गतिशीलता को बेहतर बनाने में सक्षम बनाएगी. परियोजना के आर्थिक प्रभावों से महिलाओं और विकलांगों को भी लाभ होगा. जियोंग ने कहा, "एडीबी का ऋण गलियारे के निर्माण में मदद कर रहा है. लोगों को कम कार्बन उत्सर्जन और कुशल रेल प्रणाली से यात्रा करने का फायदा मिलेगा. लाखों टन सीओ2 उत्सर्जन की बचत के साथ जलवायु परिवर्तन शमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा."


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