वाराणसी, नितीश कुमार पाण्डेय। लॉकडाउन के दौरान जब शराब की दुकानें खुली, तो लोग अपने सब्र के बांध को रोक नहीं सके। लॉकडाउन के दौरान सरकारी राहत मिलने के बाद सोमवार को जब शराब की दुकानें खुलीं, तो दृश्य देखने वाला था। चिलचिलाती धूप में लोग लंबी-लंबी कतारों में शराब खरीदने के लिए खड़े थे। शराब खरीदने की होड़ इस कदर देखने को मिली, कि हर किसी के हाथ में दर्जनों बोलते नजर आ रही थीं।
शराब की दुकानों पर जबरदस्त भीड़
वाराणसी में शराब की दुकानों को सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक खुलने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन शर्त ये है कि दुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो, दुकान पर चार लोगों से ज्यादा की भीड़ न लगाने का प्रयास हो। शराब विक्रेता सुबह दुकान पर पहुंचे और जल्द से जल्द सोशल डिस्टेंसिंग का चिन्हांकन भी कर दिया, लेकिन जब शराब के चाहने वालों का हुजूम उमड़ा तो सारे मानक फेल होते नजर आए। दुकान के बाहर लंबी कतार और सबको अपनी बारी का इंतजार, लेकिन इन सबके आगे प्रशासन लाचार दिखाई पड़ा।
लॉक डाउन के बाद से बन्द हो गयी थी शराब
कहते हैं कि काशी का नशा भांग है, इसमें आयुर्वेद के सारे गुण समाए हैं, लेकिन 4 मई का दिन काशी में शराबियों के नाम रहा। राशन की दुकानों से ज्यादा भीड़ शराब की दुकान पर देखी गयी। हो भी क्यों न जनाब जो अकेले के मर्ज की दवा थी, उसी को बंद कर दिया था। आज जब छूट मिली तो उमड़ती भीड़ उस बेचैनी की गवाही दे रही थी, जो शराब न मिलने से इन बेचैन लोगों के दिल में थी।
जद्दोजहद करती रही पुलिस सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने में पुलिस के जवानों के पसीने छूट रहे थे, लेकिन बोतल के दीवानों के सामने सब बेकार। बनारसी मिजाज टकराया तो कह दिए एक बोतल त लेके जाइब। कई जगहों पर तो पुलिस ने लोगों को हटाया भी, लेकिन भीड़ के आगे सबकुछ शांत दिखा।
वाराणसी शहर में शराब की 717 दुकानें वाराणसी शहर में शराब की 717 दुकाने हैं, जिसमें 710 खुली थीं। बाकी की सात दुकानें हॉट स्पॉट में थी , हालांकि सोशल डिस्टेंसिंग का खतरा सताता रहा, लेकिन इस दिन की बिक्री ने ये जता दिया कि लॉकडाउन का सबसे ज्यादा प्रभाव शराबियों पर है, आगे भी दुकान खुलेगी या प्रशासन भीड़ को देखते हुए कोई नया नियम लाता है। अब ये देखने वाली बात होगी।
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