बुलंदशहर, एबीपी गंगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद की विकलांगों को ट्राई साइकिल बांटने के घोटाले के मामले की 9 साल बाद पर्तें खुलनी शुरू हो गयी हैं। अब बुलंदशहर की विशेषाधिकार कोर्ट ने विकलांगों को उपकरण बांटने में लाखों रूपये का घोटाला करने की आरोपी लुईस खुर्शीद व एक अन्य की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। घोटाला सलमान खुर्शीद के पिता डा. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट (एनजीओं) के माध्यम से किया गया था।


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद पर आरोप है कि डा. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट विकलांग कल्याण उप्र नाम के एनजीओं के माध्यम से बुलंदशहर में वर्ष 2010 में कैम्प लगाकर सैकडों विकलांगों को ट्राई साइकल आदि उपकरण बांटने का घोटाला किया गया।


दस्तावेजों में विकलांगों को उपकरण वितरित दर्शाकर उन्हें न उपकरण नहीं दिये गये थे। वितरण सूची में बुलंदशहर के जिला विकलांग कल्याण अधिकारी व चिकित्साधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर कर लाखों का घोटाला किया गया था।


दरअसल 17 मई 2017 को बुलंदशहर के बीबीनगर थाने में आर्थिक अपराध शाखा के निरीक्षक राम शंकर यादव ने पूर्व विधायक लुईस खुर्शीद का डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट विकलांग कल्याण के लिए भारत सरकार के सामाजिक, न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से 71 लाख रूपये की सब्सिडी हासिल की थी।


आरोप है कि ट्रस्ट के नुमाइंदों ने सब्सिडी धनराशि का दिव्यागों के हित में इस्तेमाल किये बगैर फर्जी दिव्यांग राहत कैम्प लगवाया और सब्सिडी के 10 लाख रुपये का घोटाला कर डाला। आर्थिक अपराध शाखा की जांच में लुईस खुर्शीद का नाम सामने आने पर कांग्रेस नेत्री लुईस खुर्शीद का नाम आरोप पत्र में शामिल कर लिया गया।


मामले में लुईस खुर्शीद और अतहर फारूकी ने बुलंदशहर विशेषाधिकार कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दायर की थी। अपर सत्र न्यायाधीश विशेष राम प्रताप सिंह ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद लुईस खुर्शीद और अतहर फारूकी की जमानत अर्जी को तथ्य रहित मानते हुए खारिज कर दिया।


बता दें डॉक्टर जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट उत्तर प्रदेश में पांच साल के लिए रजिस्टर्ड था। 30 मार्च 2010 को ट्रस्ट को विकलांगजनों को बैसाखी और ट्राई साइकिल आदि बांटने के लिए 71 लाख रुपए मिले थे। 71 लाख में से बुलंदशहर में 10 लाख रुपये के ट्राई साइकिल और बैसाखी बांटी जानी थी।


आर्थिक अपराध शाखा की पड़ताल में ये भी सामने आया कि बीबीनगर में कोई दिव्यांग राहत कैंप डॉ.जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट ने नहीं लगाया। इतना ही नहीं फर्जी कैंप को सही दर्शाने के लिए चिकित्सा अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला विकलांग कल्याण अधिकारी बुलंदशहर के हस्ताक्षर और मुहर फर्जी रूप से सत्यापन रिपोर्ट में लगा दिए गए।