लखनऊ: यूपी के नए डीजीपी की कुर्सी के लिए जल्द फैसला होगा. यूपीएससी ने प्रदेश सरकार की तरफ से भेजी गई आईपीएस अफसरों की सूची पर मंथन के लिए 29 तारीख को बैठक रखी है. यूपीएससी की बैठक में तीन आईपीएस अफसरों के नाम चुनकर प्रदेश सरकार को भेजे जाएंगे जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनमें से एक का नाम नए डीजीपी के तौर पर घोषित करेंगे.


प्रदेश सरकार ने 30 साल की सेवा पूरी कर चुके 30 से अधिक आईपीएस अफसरों के नाम यूपीएससी को भेजे हैं. इसमें सबसे पहला नाम 1986 बैच के आईपीएस अफसर नासिर कमाल का है. नासिर कमाल डेपुटेशन पर तैनात हैं और ऐसी चर्चा है कि वह यूपी वापस नहीं आना चाहते. डीजीपी की कुर्सी के लिए समीकरण भी उनके पक्ष में नहीं हैं. दूसरे सबसे सीनियर अधिकारी 1987 बैच के आईपीएस अफसर मुकुल गोयल हैं. मुकुल गोयल भी इस समय डेपुटेशन पर तैनात हैं. वह एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के पद पर तैनात रह चुके हैं. उनका रिटायरमेंट 2024 को है. उनके डीजीपी बनाए जाने की संभावना सबसे ज्यादा है. तीसरा नाम 1987 बैच के ही आरपी सिंह का है. इसके बाद 87 बैच के ही विश्वजीत महापात्रा, गोपाल लाल मीणा, 1988 बैच के आरके विश्वकर्मा, डीएस चौहान, अनिल कुमार अग्रवाल और आनंद कुमार का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं. 


भाजपा ने सीनियरिटी के आधार पर ही की है डीजीपी की तैनाती


भाजपा सरकार ने डीजीपी के पद पर तैनाती के लिए सीनियरिटी को ही प्रमुखता दी है. सरकार के गठन के बाद सुलखान सिंह पहले डीजीपी बनाए गए थे जो उस वक्त के सबसे सीनियर आईपीएस अफसर थे. उनका कार्यकाल 3 महीने का ही बचा था लेकिन सरकार ने 6 महीने का एक्सटेंशन दिला दिया था. दूसरे नंबर पर डीजीपी बने ओपी सिंह भी सबसे सीनियर अफसर थे और वर्तमान में डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी भी सबसे सीनियर अधिकारी ही हैं. यही वजह है वर्तमान में सबसे सीनियर अफसर मुकुल गोयल को ही अगला डीजीपी बनाए जाने के दावे किए जा रहे हैं.


सरकार अपनी पसंद के अफसर को भी दे सकती है डीजीपी की कुर्सी


2022 विधानसभा चुनाव में कुछ महीने का ही वक्त बाकी है ऐसे में डीजीपी के पद पर कोई भी सरकार रिस्क नहीं लेना चाहती. सरकार डीजीपी की कुर्सी पर अपनी पसंद के अफ़सर को भी बैठा सकती है. अगर सीनियरिटी के आधार पर मुकुल गोयल को तैनाती नहीं दी जाती है और सरकार अपनी पसंद को आधार बनाती है तो वरिष्ठता क्रम में काफी नीचे आनंद कुमार को डीजीपी बनाया जा सकता है. इससे पहले भी वरिष्ठता क्रम को सुपरसीड करके कई जूनियर अफसरों को डीजीपी की कुर्सी सौंपी गई है. बसपा कार्यकाल में सीनियर अफसरों को नजरअंदाज कर बृजलाल को डीजीपी बनाया गया था जबकि समाजवादी पार्टी ने जगमोहन यादव को डीजीपी की कुर्सी सौंपी थी.


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