लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना काल के दौरान नदी में लाशों को बहाने के मामले पर खुल कर अपनी बात कही. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने Indian Express E Adda के साथ इंटरव्यू में कहा कि इसे लेकर कुछ संस्थाओं ने खूब भ्रम फैलाया. इंडियन एक्सप्रेस को दिये इंटरव्यू में मुख्यमंत्री ने कहा कि, नदी के किनारे रहने वाले लोगों ने परंपरा के अनुरूप काम किया था. लेकिन इस पर कोई बात सुनने तक को तैयार नहीं था. सीएम योगी ने कहा कि, इस मुद्दे को लेकर दुनिया के सामने भारत की छवि धुमिल करने की कोशिश की गई.


उन्नाव, श्रावस्ती में गंगा में देख गये थे शव


बता दें कि, उन्नाव व श्रावस्ती में गंगा नदीं में कई शव उतराते दिखे थे. यही नहीं, इन खबरों के बाद राज्य सरकार पर विपक्ष हमलावर हो गया. वहीं, इसे देश-विदेश के मीडिया में भी इसे लेकर खूब चर्चा हुई. यही नहीं, प्रयागराज में नदीं के किनार शवों को दफनाने को लेकर भी सवाल उठे थे.


कई गांवों में शवों को बहाने की परंपरा है


लेकिन उत्तर प्रदेश के कई गांवों में कुछ खास स्थिति में ये परंपराएं नई नहीं हैं. बता दें कि जितनी बड़ी संख्या में नदियों में शव बहते हुए देखे गए थे और रेत में उन्हें दफनाया जा रहा था, उससे आशंका पैदा हुई थी कि गांवों में कोविड से मरने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है, जिसके चलते लोगों को ऐसा करना पड़ रहा है। लेकिन, तथ्य ये सामने आये कि, हालात ने तस्वीरों को जरूर भयावह बनाया है, लेकिन ये कोई नई परंपरा नहीं हैं.


मुख्यमंत्री के निजी दफ्तर ने खबर का दिया था हवाला


इसी दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निजी दफ्तर से एक खबर भी ट्वीट की गई थी. इस खबर में उस परंपरा का जिक्र किया गया था, जहां लोग शवों को नहीं में बहाते थे. हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने यहां इन लाशों को नदी के किनारे दफना दिया था. लेकिन नदी के किनारे दफन इन शवों की तस्वीरें खब वायर हुई थीं, जिन्हें लेकर खूब हंगामा मचा था.