UCC Draft in Uttarakhand: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर प्रदेशवासियों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड की विधायिका एक इतिहास रचने जा रही है. ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनते हुए न केवल इस सदन को बल्कि उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक को गर्व की अनुभूति हो रही है. मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ’’एक भारत और श्रेष्ठ भारत’’ मंत्र को साकार करने की खातिर प्रदेश में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था.


यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बोले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी


प्रदेश की जनता ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आशीर्वाद देकर दोबारा सरकार बनाने का मौका दिया. सरकार गठन के बाद पहली कैबिनेट बैठक में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट बनाने का दायित्व विशेषज्ञ समिति को सौंपा गया. 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई. देश के सीमांत गांव माणा से प्रारंभ हुई जनसंवाद यात्रा करीब नौ माह बाद 43 जनसंवाद कार्यक्रम कर दिल्ली में पूरी हुई.


2 लाख 32 हजार से अधिक सुझाव प्राप्त हुए. प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों ने कानून बनाने पर सुझाव दिए. प्रदेश की जनता की जागरूकता का प्रत्यक्ष प्रमाण है. जिस प्रकार इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने किनारे बसे सभी प्राणियों को बिना भेदभाव के अभिसिंचित करती है, इस सदन से निकलने वाली समान अधिकारों की ये गंगा हमारे सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी. हम हमेशा से कहते आएं हैं कि ’अनेकता में एकता, यही भारत की विशेषता’, यह बिल उसी एकता की बात करता है, जिस एकता का नारा हम वर्षों से लगाते आएं हैं.


आज हम आजादी के अमृतकाल में हैं और हम सभी का कर्तव्य है कि एक समरस समाज का निर्माण करें, जहां पर संवैधानिक प्रावधान, सभी के लिए समान हों. जब हम समान मन की बात करते हैं तो उसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि हम सभी के कार्यों में एकरूपता हो बल्कि इसका अर्थ यह है कि हम सभी समान विचार और व्यवहार द्वारा विधि सम्मत् कार्य करें. सामान नागरिक संहिता के विषय पर कहते हुए हर्ष हो रहा है कि हमने जो संकल्प लिया था, आज इस सदन में उस संकल्प की सिद्धि होने जा रही है.


'समय आ गया है हम वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठें'


समय आ गया है कि हम, वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर, एक ऐसे समाज का निर्माण करें जिसमें हर स्तर पर समता हो. वैसी ही समता, जिसके आदर्श मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम हैं. हमारी देवभूमि समानता से सभी का सम्मान करना सिखाती है, जैसे यहां के चार धाम और कई मंदिर हमारे लिए पूजनीय हैं, वैसे ही पिरान कलियर भी हमारे लिए एक पवित्र स्थान है. हम उस सत्य की बात कर रहे हैं जिसे संविधान के अनुच्छेद 44 में होने के बावजूद अब तक दबा कर रखा गया.


वही सत्य, जिसे 1985 के शाह बानो केस के बाद भी स्वीकार नहीं किया गया. नागरिकों के बीच भेद को कायम रखा गया? क्यों समुदायों के बीच असामनता की खाई खोदी गई? लेकिन अब इस खाई को भरा जाएगा. यह काम आज से, अभी से, यहीं से शुरू होगा. समान नागरिक संहिता, विवाह, भरण-पोषण, गोद लेने, उत्तराधिकार, विवाह विच्छेद जैसे मामलों में भेदभाव न करते हुए सभी को बराबरी का अधिकार देगा. यही प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार भी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों में कहा कि यही समय है, सही समय है. अब समय आ गया है कि महिलाओं के साथ होने वाले अत्यचारों को रोका जाए. आजादी से पहले हमारे देश में जो शासन व्यवस्था थी, उसकी सिर्फ एक ही नीति थी और वो नीति थी फूट डालो और राज करो. अपनी उसी नीति को अपनाकर उन्होंने कभी भी सबके लिए समान कानून का निर्माण नहीं होने दिया. 
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